रायपुर. इतवार को शिक्षाकर्मियों की छत्तीसगढ़ शासन के साथ लंबी वार्ता चली लेकिन वार्ता असफल हो गई. दो चरणों की इस वार्ता में सरकार की ओर से शिक्षा विभाग और पंचायत विभाग के मुख्य नौकरशाह विकासशील और एमके राऊत शामिल थे. पहले दौर की बातचीत के बाद जो ख़बरें आई उससे लगा कि बात बन गई है. लेकिन रात जब मुख्यमंत्री के साथ दूसरे दौर की बैठक हुई तो सहमति नहीं बन पाई और वार्ता विफल हो गई. आखिर किस बात पर ये वार्ता विफल हुई ये बड़ा सवाल है.

सूत्र बताते हैं कि शिक्षाकर्मी प्रतिनिधि विभाग के दोनों प्रमुख सचिवों की बातों पर विश्वास नहीं कर पाए. सचिवों ने पहले दौर की बैठक के बाद शिक्षाकर्मियों को कहा कि पूरी बात हो चुकी है. संविलियन को छोड़कर सरकार ने सभी मांग मान ली है. इस मसले पर वो मुख्यमंत्री से बात कराने के लिए उन्हें अपने साथ ले गए. लेकिन जब वे सभी मुख्यमंत्री के साथ बैठे तो उन्हें लगा कि जो बातें सचिवों ने कही थी उन बातों का ज़िक्र नहीं है.

मुख्यमंत्री ने मांगो पर कमेटी बनाने की बात कही. मुख्यमंत्री की बात से शिक्षाकर्मियों को लगा कि जो आश्वासन सचिवों की ओर से दिया गया है उसका ज़िक्र भी सीएम नहीं कर रहे हैं और जो बातें सीएम कर रहे हैं उन बातों से उनकी मांगे पूरी नहीं होने वाली क्योंकि शिक्षाकर्मियों के मसले पर पहले ही बीसियों कमेटियां बन चुकी हैं लेकिन इन कमेटियों से कोई फायदा शिक्षाकर्मियों का नहीं हुआ है.

सूत्र बताते हैं कि अगर संविलयन को छोड़कर बाकी मांगो पर सरकार अपनी रज़ामंदी ज़ाहिर कर देती तो शिक्षाकर्मी मान सकते थे. लेकिन वो बात भी मुख्यमंत्री के साथ बैठक में सामने नहीं आई. लिहाज़ा शिक्षाकर्मियों ने हड़ताल का रास्ता चुना.