जिनेवा। “मलेरिया मिस्र की सभ्यता जितनी ही पुरानी है, लेकिन फैरोज (Pharaohs) को परेशान करने वाली यह बीमारी अब उसके इतिहास की बात है, न कि भविष्य की.” यह बात विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के प्रमुख टेड्रोस एडनॉम घेब्रेयसस ने रविवार को मिस्र को मलेरिया मुक्त घोषित किए जाने पर कही.
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इस उपलब्धि को “वास्तव में ऐतिहासिक” तथा इस बीमारी को जड़ से मिटाने के लिए लगभग एक शताब्दी के प्रयासों की परिणति बताया. वैश्विक स्तर पर, 44 देशों और एक क्षेत्र को अब मलेरिया मुक्त के रूप में प्रमाणित किया गया है.
डब्ल्यूएचओ द्वारा प्रमाणन तब दिया जाता है, जब कोई देश यह साबित कर देता है कि एनोफिलीज मच्छरों द्वारा स्वदेशी मलेरिया संचरण की श्रृंखला कम से कम पिछले तीन लगातार वर्षों से देश भर में बाधित रही है. किसी देश को संचरण की पुनः स्थापना को रोकने की क्षमता भी प्रदर्शित करनी चाहिए.
WHO के अनुसार मलेरिया से हर साल 600,000 से ज़्यादा लोगों की मौत होती है, जिनमें से 95 प्रतिशत अफ्रीका में होते हैं. 2022 में दुनिया भर में मलेरिया के 249 मिलियन मामले दर्ज किए गए. मच्छरों द्वारा फैलने वाला मलेरिया ज़्यादातर उष्णकटिबंधीय देशों में पाया जाता है. यह संक्रमण एक परजीवी के कारण होता है.
मिस्र के स्वास्थ्य मंत्री खालिद अब्देल ग़फ़्फ़ार ने कहा, “आज मलेरिया उन्मूलन प्रमाणपत्र प्राप्त करना यात्रा का अंत नहीं बल्कि एक नए चरण की शुरुआत है. हमें अब निगरानी, निदान और उपचार के उच्चतम मानकों को बनाए रखने के माध्यम से अपनी उपलब्धि को बनाए रखने के लिए अथक और सतर्कता से काम करना चाहिए.
WHO ने कहा कि मिस्र में मानव-मच्छर संपर्क को कम करने के शुरुआती प्रयास 1920 के दशक में शुरू हुए थे, जब इसने घरों के पास चावल और कृषि फसलों की खेती पर प्रतिबंध लगा दिया था. द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जनसंख्या विस्थापन के परिणामस्वरूप 1942 तक मिस्र में मामले तीन मिलियन से ज़्यादा हो गए थे.