चंडीगढ़। जेल में बंद लॉरेंस बिश्रोई के द्वारा दिए गए इंटरव्यू को लेकर अब भी कई सवाल खड़े हैं। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में अमिकस क्यूरी (कोर्ट मित्र) तनु बेदी ने गैंग्सटर लॉरेंस बिश्नोई इंटरव्यू मामले में मंगलवार को एसआईटी रिपोर्ट के आधार पर अपनी टिप्पणियां पेश की। उन्होंने बताया कि एसआईटी यह पता लगाने में नाकाम रही कि इंटरव्यू के दौरान जूम ऐप के लिए किसका फोन या इंटरनेट कनेक्शन इस्तेमाल हुआ क्योंकि ऐप आइएमइआइ ट्रेसिंग की अनुमति नहीं देता।
बेदी ने कहा कि एसआईटी को वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों की संलिप्तता साबित करने वाले किसी भी संदिग्ध वित्तीय लेनदेन का सुराग नहीं मिला। दस बर्खास्त पुलिस अधिकारियों में से केवल दो गुरशेर व उसके करीबी एक कॉन्स्टेबल को सक्रिय रूप से शामिल पाया गया जबकि बाकी आठ को ड्यूटी में लापरवाही के आधार पर बर्खास्त किया गया।

मोबाइल और इंटरनेट का उपयोग अपराध नहीं दलील में यह भी स्पष्ट किया है कि जेल में मोबाइल या इंटरनेट का इस्तेमाल किसी संज्ञेय अपराध की श्रेणी में नहीं आता। उनके अनुसार, लॉरेंस का मुख्य अपराध इंटरव्यू के दौरान दी गई धमकियां थीं जबकि हरियाणा में इस तरह की धमकी अपराध की श्रेणी में आती है, पंजाब में ऐसा कोई प्रविधान मौजूद नहीं है।
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