यूट्यूबर रणवीर इलाहाबादिया(Ranveer Allahbadia) ने कई राज्यों में दर्ज FIR  से राहत पाने के लिए अब सुप्रीम कोर्ट में अपील की है. उन पर आरोप है कि उन्होंने कॉमेडियन समय रैना के कार्यक्रम इंडियाज गॉट लैटेंट में कुछ अश्लील टिप्पणियां कीं, जिसके कारण असम पुलिस ने उन्हें समन भेजा था. इलाहाबादिया के वकील अभिनव चंद्रचूड़ (AbhinavChandrachud) ने सुप्रीम कोर्ट में इस मामले को लेकर याचिका दाखिल की और जल्द सुनवाई की मांग की. हालांकि, चीफ जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की बेंच ने तत्काल सुनवाई से इनकार कर दिया, लेकिन केस को जल्द लिस्ट करने का आदेश दिया.

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कौन हैं अभिनव चंद्रचूड़?

बॉम्बे हाईकोर्ट में प्रैक्टिस करने वाले अभिनव चंद्रचूड़ ने दुनिया के सर्वश्रेष्ठ लॉ स्कूलों से पढ़ाई की है. उनके पिता पूर्व चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ हैं, लेकिन अभिनव सिर्फ एक जज के बेटे के रूप में नहीं, बल्कि एक काबिल वकील और कानूनी लेखक के रूप में भी प्रसिद्ध हैं. उन्होंने स्टैनफोर्ड लॉ स्कूल से डॉक्टर ऑफ द साइंस ऑफ लॉ और मास्टर ऑफ द साइंस ऑफ लॉ की डिग्री हासिल की, जहां वे फ्रैंकलिन फैमिली स्कॉलर थे. उन्होंने हार्वर्ड लॉ स्कूल से डाना स्कॉलर की डिग्री भी हासिल की.

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अमेरिका की प्रसिद्ध लॉ फर्म गिब्सन, डॉन एंड क्रचर में अभिनव चंद्रचूड़ ने अपने करियर की शुरुआत बतौर सहायक अटॉर्नी से की थी, लेकिन वे बाद में भारत लौट आए और वकालत के अलावा कानूनी लेखन भी करने लगे. उनकी लिखी दो पुस्तकें हैं: रिपब्लिक ऑफ रेटोरिक: फ्री स्पीच एंड द कॉन्स्टिट्यूशन ऑफ इंडिया और सुप्रीम व्हिस्पर्स: कन्वर्सेशंस विद जजेस ऑफ द सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया 1980-1989 काफी चर्चित रही हैं.

पिता के CJI रहते सुप्रीम कोर्ट में पैरवी से किया इनकार

भारत के पूर्व चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ के बेटे अभिनव और चिंतन ने सुप्रीम कोर्ट में केस लड़ने से इनकार कर दिया. पूर्व CJI ने अपनी विदाई भाषण में कहा, “मैंने अपने बेटों से कहा कि सुप्रीम कोर्ट में प्रैक्टिस करें, लेकिन उन्होंने मना कर दिया.” उन्होंने कहा, ‘डैड, हम सुप्रीम कोर्ट में बहस करेंगे जब आप पद से हटेंगे. अभी वहां प्रैक्टिस करके हम आपकी और अपनी साख पर सवाल क्यों उठने दें?’ यह मेरे लिए गर्व की बात है कि मेरे बच्चों ने इस पेशे में ईमानदारी बनाए रखी.

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क्या हुआ रणवीर इलाहाबादिया केस में?

इस मामले में रणवीर इलाहाबादिया के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा 79 के तहत मामला दर्ज है, जो किसी महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाने वाले शब्दों, इशारों या किसी अन्य माध्यम से किए गए कार्य को अपराध मानता है. इसके अलावा, उन पर महिला की निजता भंग करने का भी आरोप लगा है. सुप्रीम कोर्ट में अभिनव चंद्रचूड़ ने कहा कि असम पुलिस का समन अनुचित है और इलाहाबादिया को तुरंत राहत दी जानी चाहिए. इस पर सीजीआई खन्ना ने कहा कि केस को दो-तीन दिनों में लिस्ट किया जाएगा. इस मामले में आगे क्या होता है, यह देखना दिलचस्प होगा.