भुवनेश्वर, ओडिशा समेत चार राज्यों में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के ‘वन हेल्थ’ कार्यक्रम आयोजित किया गया है. वन हेल्थ की कॉंसेप्ट लोगों, जानवरों और पर्यावरण के स्वास्थ्य को संतुलित और अनुकूलित करते हुए स्वास्थ्य खतरों को रोकना, भविष्यवाणी करना, पता लगाना और प्रतिक्रिया देना है.

ओडिशा के स्वास्थ्य निदेशक, निरंजन मिश्रा ने कहा वन हेल्थ मिशन का फोकस ज़ूनोटिक बीमारियों पर होगा, जो जानवरों से मनुष्यों में प्राकृतिक रूप से फैल सकती हैं जैसे रेबीज, एंथ्रेक्स, स्क्रब टाइफस, निपाह जैसे अन्य बिमारी. मिश्रा ने बताया कि इस संबंध में राज्य स्तरीय और जिला स्तरीय कार्य योजना और समन्वय समितियां गठित की जाएंगी.

WHO के अनुसार, वन हेल्थ सार्वजनिक स्वास्थ्य, पशु चिकित्सा और पर्यावरण क्षेत्रों को कवर करता है. वन हेल्थ दृष्टिकोण विशेष रूप से भोजन और पानी की सुरक्षा, पोषण, ज़ूनोज़ के नियंत्रण (बीमारियाँ जो जानवरों और मनुष्यों के बीच फैल सकती हैं, जैसे फ्लू, रेबीज और रिफ्ट वैली बुखार), प्रदूषण प्रबंधन और रोगाणुरोधी प्रतिरोध के लिए प्रासंगिक है.

मिश्रा ने कहा “जूनोटिक रोगों की चपेट में आने वाले जिलों की मैपिंग की जाएगी और एक कार्य योजना तैयार की जाएगी. इस जगहों पर निगरानी बढ़ाए जाने के साथ प्रयोगशाला क्षमता मजबूत की जाएगी. इसके अलावा मेडिकल कॉलेजों को इस प्रक्रिया में शामिल करने के लिए केंद्र को एक प्रस्ताव सौंपा गया है. ”