लद्दाख में हुई हिंसा को लेकर केंद्र सरकार ने बड़ा कदम उठाते हुए इस मामले में जांच के लिए न्यायिक आयोग का गठन किया है. इस हिंसा की जांच अब न्यायिक आयोग करेगा. सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज की अगुवाई में यह न्यायिक जांच की जाएगी. गृह मंत्रालय ने इस बाबत महत्वपूर्ण आदेश शुक्रवार को जारी किया. तीन सदस्यीय न्यायिक आयोग की अध्यक्षता सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज बी. एस. चौहान करेंगे. लद्दाख में हिंसा भड़काने के आरोप में सोनम वांगचुक को गिरफ्तार किया गया है.
सोनम वांगचुक को 26 सितंबर को कड़े राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) के तहत हिरासत में लिया गया था. यह घटना केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख को राज्य का दर्जा और छठी अनुसूची का दर्जा देने की मांग को लेकर हुए हिंसक प्रदर्शनों के दो दिन बाद हुई थी. इस प्रदर्शन में चार लोगों की मौत हो गई थी और 90 लोग घायल हो गए थे. सरकार ने वांगचुक पर हिंसा भड़काने का आरोप लगाया था.
रासुका केंद्र और राज्यों को व्यक्तियों को हिरासत में लेने का अधिकार देता है ताकि उन्हें ‘देश की सुरक्षा को नुकसान पहुंचाने वाले’ कार्य करने से रोका जा सके. हिरासत की अधिकतम अवधि 12 महीने है. हालांकि, इसे पहले भी रद्द किया जा सकता है. वांगचुक राजस्थान की जोधपुर जेल में बंद हैं.
हिंसा के मामले में छह नेता रिहा
इससे पिछले महीने यहां हुई हिंसा के मामले में तीन सप्ताह की हिरासत के बाद कांग्रेस के एक पार्षद सहित छह नेताओं को बुधवार को जमानत पर रिहा किया गया. इसी से जुड़े एक अन्य घटनाक्रम में लेह के जिला मजिस्ट्रेट ने हिंसा की घटना के बाद भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) की धारा 163 के तहत 24 सितंबर को लागू की गई सभी पाबंदियों को हटाने का आदेश जारी किया. इस हिंसा में चार लोगों की मौत हो गई थी और कई अन्य घायल हुए थे.
स्थानीय अदालत में आत्मसमर्पण कर दिया था
अधिकारियों के अनुसार, स्थानीय अदालत द्वारा जिन नेताओं को जमानत दी गयी उनमें ऊपरी लेह से कांग्रेस पार्षद स्टैनजिन फुंटसोग त्सेपाक, लद्दाख बौद्ध एसोसिएशन (एलबीए) की महिला शाखा की अध्यक्ष कुन्जेस डोलमा, अंजुमन मोइन-उल-इस्लाम के इरफान बारी और लेह एपेक्स बॉडी से पद्मा स्टैनज़िन, जिग्मेट पलजोर और स्टैनज़िन चोस्पेल शामिल हैं. वे (जमानत पर रिहा सभी नेता) उन कई युवा नेताओं में शामिल थे, जिन्होंने व्यापक हिंसा में कथित रूप से शामिल प्रदर्शनकारियों पर पुलिस की कार्रवाई के बाद स्थानीय अदालत में आत्मसमर्पण कर दिया था.
70 से अधिक लोगों को हिरासत में लिया गया
पुलिस ने 70 से अधिक लोगों को हिरासत में लिया और उनमें से 35 को पिछले सप्ताह जमानत पर रिहा कर दिया गया. कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस (केडीए) के साथ मिलकर लेह एपेक्स बॉडी (एलएबी) सोनम वांगचुक सहित हिरासत में लिए गए सभी लोगों की रिहाई, न्यायिक जांच और चार मृत व्यक्तियों तथा गंभीर रूप से घायल व्यक्तियों के परिवारों को पर्याप्त मुआवजा देने की मांग कर रही है ताकि केंद्र के साथ रुकी हुई बातचीत को फिर से शुरू किया जा सके. अपने आदेश में जिला मजिस्ट्रेट ने जिले में बीएनएसएस की धारा 163 के तहत लागू प्रतिबंधों को तत्काल प्रभाव से हटाने की घोषणा की.
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