WHO Road Safety Report : विश्व में सड़क दुर्घटनाओं से होने वाली वार्षिक मृत्यु में पांच प्रतिशत की कमी आई है. हालांकि मरने वालों की संख्या 19 लाख से ज्यादा है. सड़क सुरक्षा पर विश्व स्वास्थ्य संगठन की वैश्विक रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया भर में मौतों की संख्या में मामूली कमी के बावजूद, हर मिनट में दो मौतें होती हैं और हर दिन 3200 लोग मरते हैं. सड़क यातायात दुर्घटनाएं पांच से 29 वर्ष की आयु के बच्चों और युवाओं की मौत की प्रमुख वजह बनी हुई हैं.

डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक टेड्रोस एडनोम घेब्रेयसस ने कहा, “सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली मौतों की दुखद संख्या सही दिशा में नीचे की ओर बढ़ रही है, लेकिन इतनी तेजी से नीचे नहीं जा रही है. हमारी सड़कों पर नरसंहार को रोका जा सकता है. हम सभी देशों से आह्वान करते हैं कि वे अपनी परिवहन प्रणालियों के केंद्र में कारों के बजाय लोगों को रखें और पैदल चलने वालों, साइकिल चालकों और अन्य कमजोर सड़क उपयोगकर्ताओं की सुरक्षा सुनिश्चित करें.

भारत में सड़क दुर्घटनाओं में मरने वालों की तादाद बढ़ी

इन सड़क हादसों में जान गंवाने वालों में सबसे अधिक पांच साल के बच्चे से लेकर 29 साल के युवा होते हैं, लेकिन भारत में अब भी सड़क दुर्घटनाओं में मरने वालों की तादाद बढ़ती ही जा रही है. 2010 में जहां मौतों का आंकड़ा 1.3 लाख होता था, वह 2018 में बढ़कर 1,50,785 और 2021 में बढ़कर 1,53,792 हो गया.

कई देशों में 50 प्रतिशत की आई कमी

बुधवार को जारी रिपोर्ट में बताया गया है कि संयुक्त राष्ट्र के 108 सदस्य देशों में 2010 से 2021 के बीच सड़क परिवहन संबंधी हादसों से मौतों में कमी बताई गई है. दस देश बेलारूस, ब्रुनेई दारुसलाम, डेनमार्क, जापान, लिथुआनिया, नार्वे, रूसी संघ, त्रिनिदाद व टुबैगो, यूएई और वेनेजुएला ने ऐसी मौतों में 50 प्रतिशत से अधिक कमी करने में सफलता पाई है.

बता दें कि 35 से अधिक देश 30 से 50 प्रतिशत कमी लाने में सफल रहे, जबकि विश्व की 28 प्रतिशत मौतें दक्षिण पूर्वी एशिया क्षेत्र में हुई हैं. हर दस में से नौ मौतें निम्न और मध्यम आय वर्ग के देशों में हुईं, जहां मौतों की तादाद वाहनों और सड़कों से कहीं ज्यादा है.