Kamala Sohonie Google Doodle: गूगल ने आज अपने डूडल की मदद से भारत की पहली महिला वैज्ञानिक कमला सोहोनी (Kamala Sohonie) की 112वीं जन्म जयंती पर उन्हें है. कमला सोहोनी भारत की पहली ऐसी महिला थीं जिन्होंने विज्ञान के विषय से पीएचडी की डिग्री हासिल की थी और वह वैज्ञानिक बन गई थीं. गूगल (Google) आज कमला सोहोनी के दिए गए योगदान को याद कर उन्हें डूडल (Doodle) के जरिए सम्मानित कर रहा है.
डॉ. कमला सोहोनी ने एंजाइम ‘साइटोक्रोम सी’ की खोज के लिए जानी जाती हैं, उन्हें उस किंवदंती के रूप में सम्मानित किया जाता है, जिसने भविष्य की भारतीय महिलाओं के लिए कांच की छत को तोड़ने और पुरुषों के गढ़ माने जाने वाले क्षेत्रों में अपने सपनों को साकार करने में मदद की.
कौन थीं डॉ. कमला सोहोनी (Kamala Sohonie)
जब डॉ. कमला सोहोनी ने अपनी पीएचडी हासिल की, तो भारत में वैज्ञानिक विषयों में महिलाओं का बहुत कम प्रतिनिधित्व था. उन्होंने कई बाधाओं को तोड़ा और अपने सपनों को आगे बढ़ाने के लिए लैंगिक भेदभाव से लड़ी और दूसरों को प्रेरित किया. सोहोनी का जन्म मध्य प्रदेश के इंदौर में 18 जून, 1912 को हुआ था. उनके माता-पिता रसायनज्ञ थे और सम्मानित व्यक्ति थे. उन्होंने अपने पिता और चाचा के नक्शेकदम पर चलते हुए बॉम्बे विश्वविद्यालय में रसायन विज्ञान और भौतिकी का अध्ययन किया. उन्होंने 1933 में अपनी कक्षा में टॉप किया और भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc) में शामिल होने वाली पहली महिला बनीं. यह बताया गया था कि उनके पहले वर्ष के दौरान उन पर कड़ी शर्तें लगाई गई थीं, जाहिर तौर पर क्योंकि संस्थान ने विज्ञान में महिलाओं की क्षमताओं पर संदेह किया था.
ऐसा कहा जाता है कि उन्हें रमन द्वारा मास्टर डिग्री हासिल करने के लिए प्रवेश से वंचित कर दिया गया था, जिसके बाद वह सीवी रमन के विरोध में बैठ गईं.
राष्ट्रपति के हाथों हो चुकी है सम्मानित
कमला सोहोनी को “नीरा” पर उनके काम के लिए राष्ट्रपति पुरस्कार मिला और वह बॉम्बे में रॉयल इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस की पहली महिला निदेशक भी थीं.
डॉ. कमला सोहोनी का अहम शोध
कमला सोहोनी ने कैंब्रिज विश्वविद्यालय में एक शोध छात्रवृत्ति हासिल की थी. यहां उन्होंने साइटोक्रोम सी की एक महत्वपूर्ण खोज की थी जो कि सभी पौधों की कोशिखाओं में ऊर्जा उत्पादन के लिए महत्वपूर्ण एंजाइम माना जाता है. उन्होंने इस खोज पर अपनी पीएचडी थीसिस पूरी की थी.
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