देश की राजधानी दिल्ली इस समय लगातार स्कूलों को मिल रही बम धमकियों (Bomb Threat)से दहशत में है. धमकी देने वाला या तो फोन कॉल करता है या ई-मेल के जरिए संदेश भेजता है. सोमवार को भी दिल्ली के 32 स्कूलों को बम से उड़ाने की धमकी दी गई. पुलिस की जांच में सामने आया कि धमकी के पीछे एक ग्रुप का हाथ है, जिसका नाम “द टेरराइजर्स 111 ग्रुप” बताया जा रहा है. इस समूह ने विस्फोट की धमकी के साथ 5,000 डॉलर की क्रिप्टोकरेंसी (cryptocurrency) की फिरौती भी मांगी थी. हालांकि, गहन जांच और तलाशी के बाद दिल्ली पुलिस ने इन सभी धमकियों को अफवाह करार दिया और कहा कि किसी भी स्कूल में विस्फोटक सामग्री नहीं मिली. पुलिस ने आश्वस्त किया कि स्थिति पूरी तरह नियंत्रण में है और बच्चों व अभिभावकों को घबराने की जरूरत नहीं है.

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खास तरह के बम फिट करने का दावा

इस बार धमकी देने वाला ग्रुप “द टेरराइजर्स 111 ग्रुप” सामने आया है, जिसने खुद को आतंकी संगठन बताते हुए ईमेल के जरिए धमकी भेजी. ग्रुप ने दावा किया कि उन्होंने स्कूल की इमारतों में “पाइप बम और एडवांस विस्फोटक उपकरण” लगाए हैं. यही नहीं, ईमेल में लिखा गया कि उन्होंने स्कूलों के आईटी सिस्टम हैक कर लिए हैं, छात्रों और कर्मचारियों का डेटाबेस चुरा लिया है और निगरानी कैमरों पर भी नियंत्रण कर लिया है.

आतंकी समूह ने धमकी भरे ईमेल में कहा कि अगर उनकी एथेरियम (Ethereum) एड्रेस पर 72 घंटों के भीतर 5,000 डॉलर क्रिप्टोकरेंसी में भुगतान नहीं किया गया तो बम फोड़ दिए जाएंगे. साथ ही चेतावनी दी गई कि मांगें पूरी न होने पर चोरी किया गया डेटा ऑनलाइन लीक कर दिया जाएगा. ईमेल में स्कूल प्रशासन को यह भी धमकाया गया कि अगर उन्होंने पुलिस से संपर्क किया, तो तुरंत कार्रवाई की जाएगी. हालांकि, दिल्ली पुलिस ने जांच के बाद स्पष्ट किया कि अब तक किसी भी स्कूल से विस्फोटक बरामद नहीं हुआ है और इन धमकियों को अफवाह माना जा रहा है. पुलिस की साइबर सेल अब इस ईमेल की तकनीकी जांच कर रही है और “द टेरराइजर्स 111 ग्रुप” की गतिविधियों पर नजर रख रही है.

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धमकी भरे ईमेल का पैटर्न

पहली शिकायत सुबह 7:24 बजे पुलिस तक पहुंची. इसके बाद दोपहर तक कई और स्कूलों ने ऐसे ही ईमेल मिलने की सूचना दी. ईमेल में लिखा गया था, “जान बचाने के लिए अभी खाली करो. हम माफ नहीं करते. हम भूलते नहीं हैं. पैसे भेजो या अंजाम भुगतो.” ग्रुप ने दावा किया कि उन्होंने स्कूल की इमारतों में पाइप बम और एडवांस विस्फोटक उपकरण लगाए हैं, स्कूलों के आईटी सिस्टम हैक कर लिए हैं और छात्रों व कर्मचारियों का डेटाबेस चुरा लिया है.

एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया, “जैसे ही धमकी सामने आई, बम निरोधक दस्ते, अग्निशमन विभाग और स्थानीय पुलिस की टीमों ने तलाशी अभियान चलाया.” सुरक्षा जांच पूरी होने तक छात्रों को या तो घर भेज दिया गया या खेल के मैदानों में रोका गया.

पुलिस ने बताया अफवाह

शाम तक दिल्ली पुलिस ने इन सभी धमकियों को अफवाह करार दिया. हालांकि, साइबर सेल अब धमकी भरे ईमेल की जांच कर रही है और “द टेरराइजर्स 111 ग्रुप” की पहचान में जुटी है. पुलिस का कहना है कि अभिभावकों को घबराने की जरूरत नहीं है, बच्चों की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता है.

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पिछले कुछ महीनों में तीसरी बड़ी घटना

यह पहली बार नहीं है जब दिल्ली को ऐसी फर्जी धमकियों से जूझना पड़ा है. जुलाई 2025 में चार दिनों तक लगातार धमकी वाले ईमेल भेजे गए थे. चौथे दिन अचानक 45 स्कूलों और तीन कॉलेजों को एक साथ ईमेल मिला, जिसमें विस्फोटक लगाए जाने की चेतावनी थी. मई 2024 में करीब 300 स्कूलों को सामूहिक ईमेल के ज़रिए धमकी दी गई थी. उस समय भी बाद में इसे फर्जी करार दिया गया. इसके अलावा आने वाले हफ्तों में ऐसी कम से कम चार घटनाएं अस्पतालों और संग्रहालयों में भी सामने आईं.

बार-बार मिल रही ऐसी धमकियों ने सुरक्षा एजेंसियों के लिए नई चुनौती खड़ी कर दी है. हर बार बड़े पैमाने पर पुलिस बल, बम निरोधक दस्ते और अग्निशमन विभाग को अलर्ट करना पड़ता है. विशेषज्ञ मानते हैं कि यह साइबर ब्लैकमेलिंग का पैटर्न हो सकता है, जिसका मकसद दहशत फैलाना और पैसों की उगाही करना है.

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जांचकर्ताओं के सामने बड़ी चुनौती

अधिकारियों के मुताबिक, इस तरह के ईमेल भेजने वालों का पता लगाना बेहद मुश्किल काम है. जांचकर्ताओं ने बताया कि संदिग्ध आमतौर पर अपनी पहचान छिपाने के लिए चार तरीके अपनाते हैं—

वैश्विक सेवा प्रदाता (जैसे Google): इनके जरिए भेजे गए ईमेल का पता लगाना आसान होता है, क्योंकि ये कंपनियां भारतीय एजेंसियों से सहयोग करती हैं और आईपी एड्रेस उपलब्ध कराती हैं.

सख्त विदेशी प्रदाता (जैसे mail.ru, atomicmail.io): ये एजेंसियों को जानकारी तभी देते हैं जब औपचारिक रूप से MLAT (Mutual Legal Assistance Treaty) के तहत अनुरोध किया जाए, जिसकी प्रक्रिया दो साल तक खिंच सकती है. मई 2024 के धमकी वाले ईमेल इन्हीं डोमेन से भेजे गए थे और आज तक अनसुलझे हैं.

डार्कनेट और डार्क वेब: इनका इस्तेमाल कर भेजे गए ईमेल का स्रोत पता लगाना लगभग असंभव है.

प्रॉक्सी सर्वर या वीपीएन: इनसे ईमेल भेजने वाले की लोकेशन छुप जाती है और जांच और भी जटिल हो जाती है.

बार-बार मिल रही फर्जी धमकियां

जुलाई 2025: लगातार चार दिनों तक ईमेल भेजे गए. चौथे दिन अचानक 45 स्कूलों और तीन कॉलेजों को धमकी मिली.

मई 2024: करीब 300 स्कूलों को एक साथ धमकी मिली थी. बाद में इसे फर्जी करार दिया गया. इसी साल ऐसी धमकियां अस्पतालों और संग्रहालयों तक पहुंचीं.