रायपुर-  छत्तीसगढ़ से खाली होने जा रही राज्यसभा की एक सीट का दावेदार कौन होगा ? इसका सवाल के बीच बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष धरमलाल कौशिक का दिया यह बयान बेहद दिलचस्प है, जिसमें उन्होंने कहा है कि दावेदार कोई भी हो, लेकिन पैनल में उनका नाम जरूर होता है. तय करने का अधिकार चुनाव समिति और केंद्रीय नेतृत्व का है.

भूषण जांगड़े का कार्यकाल खत्म होने जा रहा है. जांगडे़ अनुसूचित जाति वर्ग से आते हैं. लिहाजा संगठन के भीतर एक चर्चा इस बात को लेकर भी है कि अनुसूचित जाति वर्ग से ही चेहरा चुनकर राज्यसभा भेजा जाएगा.इसी संभावना पर काम करते हुए अनुसूचित जाति वर्ग से जुड़े भाजपा नेता अपने अपने लिये लॉबिंग करने में जुटे हुए हैं.विश्वस्त सूत्रों की मानें तो इस वर्ग से आने वाले रमन सरकार के दो मंत्री पुन्नूलाल मोहिले और दयालदास बघेल अपने अपने पसंद के उम्मीदवारों को राज्यसभा भेजने के लिये जी-जान से जुटे हुए हैं.मंत्री पुन्नूलाल मोहिले चोवादास खांडेकर की उम्मीदवारी के लिये सीएम से लेकर संगठन के उच्च स्तर पर लॉबिंग कर चुके हैं.चोवादास खांडेकर जरहागांव विधानसभा से विधायक रह चुके हैं,साथ ही पूर्व में अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष भी रह चुके हैं और इनकी गिनती बिलासपुर संभाग के अनुसूचित जाति वर्ग के कद्दावर नेताओं में होती है.वहीं दूसरी ओर मंत्री दयालदास बघेल अपने गुरु विजयगुरु को राज्यसभा भेजने के लिये हाथ-पांव मार रहें हैं.इन दोनों दावेदारों के बीच गुरु बालदास की उम्मीदवारी की चर्चा भी जोरों पर है.
इन सभी चर्चाओं के बीच संगठन के आला नेता फिलहाल सियासी गुणाभाग लगाने की कवायद में जुटे हैं. जिस वक्त भूषण राम जांगड़े को राज्यसभा भेजा गया था, वह वक्त की मांग थी. अनुसूचित जाति वर्ग के वोटबैंक को साधने के लिहाज से पार्टी की यह रणनीति थी. लेकिन बीते विधानसभा चुनाव में जांगड़े को राज्यसभा भेजे जाने का सियासी फायदा पार्टी को नहीं हुआ. अनुसूचित वर्ग को साधने के लिए ऐन वक्त पर बीजेपी को अपनी रणनीति बदलनी पड़ी थी.
अनुसूचित जनजाति वर्ग से रामविचार नेताम पहले से ही राज्यसभा में हैं. वहीं इसी वर्ग से आने वाले विष्णुदेव साय लोकसभा सांसद हैं और केंद्र सरकार में मंत्री. ऐसे में अनुसूचित जनजाति वर्ग से किसी चेहरे को राज्यसभा भेजे जाने की गुंजाइश पहले ही खत्म नजर आती है. ओबीसी वर्ग से बीजेपी के पास सबसे बड़े और प्रभावी चेहरे के तौर पर प्रदेश अध्यक्ष धरमलाल कौशिक ही देखे जा रहे हैं. लेकिन बिल्हा विधानसभा क्षेत्र में जिस तरह कौशिक चुनावी रण को साधने में जुटे हैं, उससे लगता है कि वह विधानसभा चुनाव लड़ना ही पसंद करेंगे.
एक नाम और चर्चा में है, वह है सरोज पांडेय का. फिलहाल वह बीजेपी संगठन में बड़े ओहदे पर हैं. राष्ट्रीय महामंत्री की हैसियत से काम कर रही है. महाराष्ट्र जैसा बड़ा राज्य उनके प्रभार में हैं. केंद्रीय नेतृत्व के बेहद करीब मानी जाती हैं. ऐसे में सियासी चर्चाओं में सरोज का नाम भी राज्यसभा दावेदार के तौर पर उभर रहा है.
इन सबके परे एक गणित प्रदेश के बाहर नेताओं के नामों को लेकर भी हैं, जो संगठन में बड़े ओहदे पर या तो काम कर रहे हैं, या फिर केंद्रीय नेतृत्व के बेहद करीब माने जाते हैं. लेकिन पिछले दिनों मुख्यमंत्री डाॅ. रमन सिंह के उस बयान पर ये संभावना खत्म नजर आती है जिसमें उन्होंने कहा था कि राज्यसभा का सदस्य छत्तीसगढ़ से ही होगा. इसके लिए केंद्रीय नेतृत्व से चर्चा की जाएगी.
छत्तीसगढ़ में छह महीने बाद विधानसभा चुनाव होने हैं. राज्यसभा के लिए उम्मीदवारी तय करने के लिए बीजेपी चुनावी गणित भी बिठाएगी. राज्यसभा उम्मीदवारी को लेकर बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष धरमलाल कौशिक ने कहा है-
जो भी नाम आएंगे, होली के बाद चुनाव समिति की बैठक में उन नामों पर विचार कर पैनल तय कर लिया जाएगा, जिसे केंद्रीय नेतृत्व को भेजा जाएगा. छत्तीसगढ़ से ही कोई राज्यसभा में जाए इसका प्रयास होगा. मेरा नाम तो हर बार पैनल में जोड़ दिया जाता है. लेकिन अंतिम उम्मीदवारी केंद्रीय नेतृत्व ही तय करेगा.