नई दिल्ली. भारत ने हाल ही में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत जम्मू-कश्मीर में आतंकी ठिकानों पर रात के समय हवाई हमले किए. यह कोई पहला मौका नहीं है. 2016 की सर्जिकल स्ट्राइक और 2019 की बालाकोट एयर स्ट्राइक भी रात के अंधेरे में की गई थीं. दुनिया भर की सेनाएं, चाहे अमेरिका, इजरायल या रूस, अक्सर रात में ही एयर स्ट्राइक या विशेष अभियान चलाती हैं. उदाहरण के तौर पर, 2011 में अमेरिका ने ओसामा बिन लादेन को पाकिस्तान के एबटाबाद में रात के समय ही निशाना बनाया था. लेकिन सवाल यह है कि रात में ही एयर स्ट्राइक क्यों की जाती है? इसके पीछे सैन्य रणनीति, तकनीकी लाभ और वैज्ञानिक कारण शामिल हैं. आइए, इसे विस्तार से समझते हैं. (Why Air Strike At Night?)

दुश्मन को चौंकाना
रात का समय दुश्मन की सुरक्षा व्यवस्था में ढील लाता है. सैनिक और आतंकी समूह रात में अपेक्षाकृत कम सतर्क रहते हैं. अचानक हमला दुश्मन को जवाबी कार्रवाई का समय नहीं देता. भारत ने 2016 की सर्जिकल स्ट्राइक और 2019 की बालाकोट स्ट्राइक में इस रणनीति का इस्तेमाल कर पाकिस्तानी सेना और आतंकियों को स्तब्ध कर दिया था. इसी तरह, 1991 के खाड़ी युद्ध में अमेरिका ने इराक पर रात के हमलों से सद्दाम हुसैन की सेना को भ्रमित कर उनकी रडार प्रणाली को निष्क्रिय किया था.
नाइट विजन का कमाल
आधुनिक सेनाओं के पास नाइट विजन गॉगल्स, इन्फ्रारेड कैमरे और लो-लाइट इमेजिंग सिस्टम जैसी उन्नत तकनीकें हैं, जो रात में दुश्मन के ठिकानों को आसानी से ट्रैक करती हैं. भारतीय वायुसेना के मिराज-2000 और राफेल विमानों में रात के अभियानों के लिए अत्याधुनिक तकनीक मौजूद है, जो पायलट्स को दुश्मन पर बढ़त देती है. 1981 में इजरायल ने ‘ऑपरेशन ओपेरा’ के तहत इराक के ओसिराक न्यूक्लियर रिएक्टर पर सूर्यास्त के बाद हमला किया था, ताकि रडार सिस्टम को चकमा दिया जा सके.
दुश्मन का मनोबल तोड़ना
रात में अचानक हमला दुश्मन के मनोबल को तोड़ता है. उनकी कमांड और नियंत्रण प्रणाली में अव्यवस्था फैल जाती है. 2019 की बालाकोट स्ट्राइक के बाद पाकिस्तानी सेना और वायुसेना घंटों तक भ्रम की स्थिति में रही, जिसका भारत को रणनीतिक लाभ मिला.
रडार और एयर डिफेंस से बचाव
दिन के उजाले में विमान रडार पर आसानी से पकड़े जा सकते हैं, लेकिन रात में वातावरण में नमी और तापमान का बदलाव रडार की प्रभावशीलता को कम करता है. लड़ाकू विमान रात में कम ऊंचाई पर उड़ान भरते हैं और पहाड़ों या भौगोलिक संरचनाओं का लाभ उठाते हैं, जिससे दुश्मन के एयर डिफेंस सिस्टम को लक्ष्य लॉक करने में मुश्किल होती है. 2019 की बालाकोट स्ट्राइक में भारत ने लो-अल्टीट्यूड फ्लाइंग तकनीक का उपयोग कर पाकिस्तानी रडार को चकमा दिया था.
मौसम से मिलता है लाभ
रात में कोहरा, बादल या अंधेरा विमानों को छिपने में मदद करता है. इसके अलावा, रात में विमानों की आवाज दिन की तुलना में कम सुनाई देती है, जिससे गुप्त अभियानों में आसानी होती है. अमेरिका द्वारा ओसामा बिन लादेन के खिलाफ ऑपरेशन भी रात में इसी वजह से किया गया था.
लड़ाकू विमानों की आवाज क्यों नहीं सुनाई देती?
- दिन में धरती की सतह गर्म होने से हवा की परतें अलग-अलग तापमान की होती हैं, जिससे विमान की आवाज जमीन तक पहुंचती है. रात में जमीन ठंडी होने से ध्वनि तरंगें ऊपर की ओर मुड़ जाती हैं, जिससे शोर कम सुनाई देता है.
- रात में नमी बढ़ने से ध्वनि अवशोषित हो जाती है. साथ ही, हवा की गति कम होने से शोर कम फैलता है.