नई दिल्ली। जो लोग दिल्ली के निवासी नहीं हैं, वे जब भी राष्ट्रीय राजधानी के भीड़भाड़ वाले इलाकों की तंग गलियों से गुजरते हैं और अचानक एक छोटे उद्योग का सामना करते हैं, तो वे चकित रह जाते हैं. जब खुली जगह पर इमारत में कारखाने को देखते हैं, तो हर कोई हैरान हो जाता है कि ये बुलडोजर के रडार पर क्यों नहीं हैं ? शहर ऐसी हजारों फैक्ट्रियों का केंद्र है, जो टाइम बम बन रहा है. जब पिछले कुछ वर्षों में हुई बड़ी आग दुर्घटनाओं के आंकड़ों को खंगाला, तो बिना अग्नि सुरक्षा मानकों के चलाए जा रहे कारखानों को ऐसी घटनाओं का एक बड़ा हिस्सा पाया गया.

13 मई को मुंडका में लगी आग में 27 लोगों की गई जान

राष्ट्रीय राजधानी में हाल के वर्षों में देखी गई सबसे घातक त्रासदियों में से एक में इस 13 मई को पश्चिमी दिल्ली के मुंडका इलाके में मेट्रो स्टेशन के पास स्थित एक चार मंजिला इमारत में भीषण आग लग गई, जिसमें 27 लोगों की मौत हो गई और 12 लोग घायल हो गए थे. दिसंबर 2019 में अनाज मंडी में एक अवैध फैक्ट्री में आग लगने से 44 लोगों की जान चली गई थी. जनवरी 2018 में बवाना में एक पटाखा भंडारण इकाई में 10 महिलाओं सहित 17 लोगों की मौत हो गई थी. हर साल दिल्ली फायर सर्विस लगभग 50-70 फैक्ट्रियों को फायर अनापत्ति प्रमाणपत्र प्रदान करती है. हालांकि, कई पर अभी भी किसी का ध्यान नहीं जाता है. दमकल विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि एनओसी देने के लिए वे जनता से सीधे तौर पर कोई बात नहीं करते हैं.

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अधिकारी ने कहा कि “हमारे पास ऐसा करने के लिए लाइसेंसिंग अथॉरिटी नहीं है. बिल्डिंग अथॉरिटी या सिविक एजेंसी का यह कर्तव्य है कि वे किसी बिल्डिंग या फैक्ट्री को लाइसेंस देने या देने से पहले मामले को हमारे पास रेफर करें.” बता दें कि आग की घटनाओं में नष्ट होने वाली अधिकांश इमारतों में अग्नि सुरक्षा मानकों का अभाव है और सबसे महत्वपूर्ण रूप से एक फायर एनओसी है. फायर एनओसी प्रमाणित करता है कि एक इमारत को दिल्ली अग्निशमन सेवा नियमों के नियम 33 के अनुसार आग की रोकथाम और अग्नि सुरक्षा आवश्यकताओं का अनुपालन माना गया है.

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इस साल मई में अब तक 42 लोगों की हो चुकी है मौत

दिल्ली दमकल सेवा के प्रमुख अतुल गर्ग ने बताया कि इस साल मई में अब तक 42 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 117 लोग घायल हुए हैं. पिछले 3 सालों में मई के महीने में 2021 में 41, 2020 में 10 और 2019 में 18 लोगों की मौत हुई. जाहिर है कि पिछले वर्षों की तुलना में संख्या में वृद्धि हुई है. केवल हताहतों की संख्या ही नहीं, इस साल मई में आग को लेकर फोन कॉलों में भी 49 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. 2020 में 19 मई तक 1,432 कॉल प्राप्त हुए, जबकि इस साल अब तक 2,145 कॉलों पर डीएफएस द्वारा रिसीव किए गए, यानी महीने के पहले 19 दिनों में आग से संबंधित 2,000 से अधिक घटनाएं दर्ज की गई हैं.

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दिल्ली फायर सर्विस कर रही खुद को लगातार अपडेट, फिर भी नहीं रुक रहे हैं हादसे

दिल्ली फायर सर्विस लगातार तकनीकी और मैन्युअल दोनों तरह से खुद को अपग्रेड कर रही है, लेकिन तापमान का बढ़ता स्तर और फैक्ट्रियों में कामगारों की आबादी संकट को बढ़ा रही है. हर साल लाखों गरीब लोग काम करने के लिए दिल्ली आते हैं और अंत में इन कारखानों में श्रमिकों के रूप में फंस जाते हैं. 2019 में अनाज मंडी में लगी आग के दौरान दो भाइयों के बीच एक फोन कॉल की भयानक ऑडियो क्लिप, जहां इमारत के अंदर फंसे एक ने दूसरे से कहा कि वह जीवित नहीं बचेगा और परिवार की देखभाल करने का वादा लिया. इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए अधिकारियों से बार-बार कहा गया, लेकिन अब भी 3 साल बाद स्थितियां बदली नहीं हैं और आग लगने की घटनाएं लगातार हो रही हैं.

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