भारतीय शेयर बाजार में विदेशी निवेशकों (FPI) की भारी बिकवाली जारी है. सितंबर 2025 की तिमाही में उन्होंने भारतीय बाजारों से करीब 9.3 अरब डॉलर (लगभग 82,400 करोड़ रुपय) निकाल लिए हैं. लेकिन असली सवाल है – वे किन शेयरों से बाहर निकले और क्यों? मार्केट डेटा के मुताबिक, 5 ऐसी कंपनियां हैं, जिनमें विदेशी निवेशकों ने सबसे ज्यादा हिस्सेदारी घटाई है.

सोना BLW प्रीसिजन फोर्जिंग्स
PNB हाउसिंग फाइनेंस
सम्मान कैपिटल
इंडियन एनर्जी एक्सचेंज (IEX)
कंप्यूटर एज मैनेजमेंट सर्विसेज (CAMS)

सबसे ज्यादा गिरावट सोना BLW में – 7.5% हिस्सेदारी घटाई

सोना BLW प्रीसिजन फोर्जिंग्स में FPI की हिस्सेदारी जून 2025 के 30% से घटकर सितंबर में 23.5% रह गई. यानी तीन महीनों में ही करीब 7.5% की भारी गिरावट. पिछले एक साल में विदेशी निवेशकों की हिस्सेदारी 10.1% तक घट चुकी है. इसी तरह, PNB हाउसिंग फाइनेंस में विदेशी निवेशकों का निवेश 24.2% से गिरकर 18.6% पर पहुंच गया. यह साफ संकेत है कि विदेशी फंड्स ने इस सेक्टर से आक्रामक एग्जिट किया है.

बिकवाली की वजह – वैल्यूएशन, ट्रंप की पॉलिसी और अमेरिकी रुख

मार्केट एक्सपर्ट्स के मुताबिक, FPI ने शुरुआत में भारतीय बाजारों के ऊंचे वैल्यूएशन के कारण बिकवाली की है. लेकिन इसके बाद अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ पॉलिसी और वैश्विक अनिश्चितता ने विदेशी निवेशकों की चिंता को और बढ़ा दिया. इसका नतीजा यह हुआ कि जुलाई से सितंबर तिमाही के बीच उन्होंने भारतीय शेयरों से तेजी से मुनाफा निकालना शुरू कर दिया है.

अक्टूबर में हल्की खरीदारी, लेकिन फिर लौट आया ‘सेलिंग प्रेशर’

दिलचस्प बात यह है कि अक्टूबर की शुरुआत में विदेशी निवेशकों ने लगभग 55 करोड़ डॉलर की खरीदारी की थी. मगर पिछले एक हफ्ते से फिर से लगातार बिकवाली देखने को मिल रही है. इससे साफ है कि अभी तक विदेशी पूंजी की स्थिर वापसी के ठोस संकेत नहीं मिले हैं.

भारतीय बाजार अब भी महंगे – ब्लूमबर्ग रिपोर्ट ने खोला आंकड़ा

ब्लूमबर्ग के अनुसार, भारतीय बाजार अब भी एशिया के कई देशों के मुकाबले ऊंचे वैल्यूएशन पर ट्रेड कर रहे हैं.

  • निफ्टी का वन-ईयर फॉरवर्ड P/E रेशियो — 20.4 गुना
  • ताइवान TAIEX इंडेक्स — 18 गुना
  • कोरिया Kospi — 11 गुना
  • चीन CSI300 — 14.7 गुना

इससे साफ है कि भारत में वैल्यूएशन प्रीमियम अब भी बना हुआ है, जो विदेशी निवेशकों को थोड़ी दूरी बनाए रखने के लिए मजबूर कर रहा है.

एक्सपर्ट व्यू – ‘रिटर्न ऑफ FPI’ अगले 12 महीनों में संभव

मॉर्गन स्टैनली इंडिया के मैनेजिंग डायरेक्टर ऋद्धम देसाई का कहना है – “भारत के वैल्यूएशन अब ऐतिहासिक रूप से आकर्षक स्तरों पर आ गए हैं. आने वाले 12 महीनों में विदेशी निवेशक फिर से नेट बायर बन सकते हैं.”

वहीं एक्सिस बैंक के चीफ इकोनॉमिस्ट नीलकंठ मिश्रा का मानना है – “कई हेज फंड्स फिलहाल मुनाफा बुक कर रहे हैं और अपने पोर्टफोलियो को दूसरे बाजारों में शिफ्ट कर रहे हैं.”

तुलना में भारत सबसे ज्यादा प्रभावित – बाकी एशियाई देशों में सीमित बिकवाली

साल 2025 की शुरुआत से अब तक विदेशी निवेशकों ने भारत से $16.5 अरब डॉलर के शेयर बेचे हैं. इसके मुकाबले ताइवान: $1.3 अरब डॉलर की नेट खरीदारी, दक्षिण कोरिया: $1.7 अरब डॉलर की बिकवाली, थाईलैंड: $3 अरब डॉलर और वियतनाम: $4.6 अरब डॉलर शेयर बेचे हैं. इस तुलना से स्पष्ट है कि भारत विदेशी फंड्स की सबसे बड़ी बिकवाली का केंद्र रहा है.

‘सेलिंग स्टॉर्म’ के बाद लौटेगा विदेशी भरोसा?

82 हजार करोड़ की बिकवाली के बावजूद भारतीय बाजार की बुनियादी ताकत और ग्रोथ स्टोरी अब भी मजबूत है. FPI भले अभी सतर्क दिख रहे हों, पर विशेषज्ञों का मानना है कि अगले कुछ महीनों में ‘रिटर्न ऑफ FPI’ का दौर फिर से शुरू हो सकता है. वहीं, जब वैल्यूएशन नॉर्मल होंगे और ग्लोबल टेंशन घटेगा, तब शायद वही विदेशी निवेशक, जो आज किनारा कर रहे हैं, कल फिर से “मेड इन इंडिया ग्रोथ स्टोरी” पर दांव लगाएंगे.