प्रयास की कमी, शिक्षा का अभाव एवं मेहनत से जी चुराना और किसी भी तरीके से ज्यादा पैसा कमाने तथा जल्दी अमीर बनने या समृद्धि पाने की चाह ज्यादातर को होती है, इसके लिए कई लोग आसान सा तरीका अपनाते हैं. जिसमें लाटरी, शेयर या स्टाक मार्किट से संबंधित क्षेत्र से धन कमाने का प्रयास करते हैं. दूसरों की देखादेखी यह प्रयास कई लोगो के लिए हानिकारक साबित होती है.
जहां किसी व्यक्ति को शेयर से लाभ होता है, वहीं किसी व्यक्ति को बहुत ज्यादा हानि भी उठानी पड़ती है. इसका कारण जातक की कुंडली से जाना जा सकता है. कोई व्यक्ति अपनी कुंडली की ग्रह स्थितियों के अनुरूप आचरण करें तो उसे कभी भी हानि या घाटा नहीं उठाना पड़े. किसी व्यक्ति की कुंडली धनवान बनने के योग बन रहें हैं या धन हानि के तथा गोचर में समय का पता किया जाता है. यह सर्वज्ञात है कि बिना भाग्य के कोई भी कार्य जीवन में सफल नहीं हो सकता. जब भी मनुष्य का भाग्योदय होगा, तभी उसे प्रत्येक कार्य में सफलता प्राप्त होगी.
अतः आकस्मिक धनलाभ या धन की हानि को जातक की कुंडली में जानने के लिए किसी जातक की कुंडली का धनभाव, भाग्यभाव या आयभाव की स्थिति तथा वर्तमान में चल रही दशाओं का आकलन करना चाहिए. किसी भी जातक की कुंडली में अगर राहु लग्न, दूसरे, तीसरे, अष्टम या नवम स्थान में हों या इन स्थानों के कारक ग्रहों की दृष्टि राहु की पड़ रही हो तो ऐसे लोगों को अनिश्चित निवेश से धन कमाने की बड़ी चाह होती है किंतु ऐसे लोगों को ही आकस्मिक हानि या विवाद में भी उलझने की आशंका होती है.
जिस भी जातक की कुंडली अष्टम या नवम भाव या भावेश पर किसी भी प्रकार से राहु की दृष्टि बने तो इन लोगों को आकस्मिक निवेश से बचना चाहिए तथा अपने कार्य एवं व्यवहार में हमेशा अनुशासन तथा नैतिकता का पालन करना चाहिए. इसके अलावा निश्चित लाभ की प्राप्ति के लिए राहु की शांति समय-समय पर कराते रहना चाहिए, साथ ही सूक्ष्म जीवों की सेवा एवं राहु के मंत्रों का जाप तथा दीपदान करना चाहिए.
कुंडली में राहु के अनुकूल होने पर ही शेयर या स्टाक जैसे अनिश्चित व्यवसाय पर निवेश करना चाहिए. अगर आकस्मिक हानि होने की आशंका हो तो बटुक भैरव का जाप करना एवं दत्तात्रेय का पाठ करना चाहिए.