शिखिल ब्यौहार, भोपाल। टाइगर स्टेट (Tiger State) और लेपर्ड स्टेट मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) में लगातार मानव-बाघ संघर्ष की घटनाएं लगातार बढ़ती जा रही हैं। हाल ही में रायसेन और सिवनी दो अलग-अलग घटनाएं सामने आईं। राज्य सरकार की केंद्र को भेजी गई में इस बात का खुलासा हुआ कि बीते एक साल में 86 लोग की मौत बाघ और तेंदुओं के हमले से हुईं। इसमें बाघों के हमले के मामले सबसे ज्यादा हैं। 

क्या कहती है रिपोर्ट ? 

रिपोर्ट बताती है कि बीते दस सालों में यह आंकड़ा दूसरी बार सर्वाधिक है। आंकड़ों के मुताबिक साल 2013-14 में 48 मौत, 2014-15 में 61, 2015-16 में 52, 2016-17 में 53, 2017-18 में 42, 2018-19 में 47, 2019-20 में 51, 2020-21 में 90, 2021-22 में 57 और 2022-23 में 86 लोगों की मौत इन वन्य प्राणियों के हमले से हुईं। 

घटते जंगल वजह

मामले पर बाघों के जानकार अजय दुबे ने बताया कि घटते जंगल और जंगलों में बढ़ता मानव दखल के कारण ऐसा हो रहा है। जंगलों में लगातार कटाई के साथ निर्माणों की संख्या बढ़ाई जा रही है। खनन का कारोबार भी बेधड़क जारी है। इसके अलावा प्रदेश में टाइगर की संख्या के हिसाब से उनका वन परिक्षेत्र का दायरा भी सीमित होता जा रहा है। लिहाजा मानव बाघ और बाघों की वर्स्चव को लेकर आपसी लड़ाई के मौत के मामले भी साल-दर-साल बढ़ते जा रहे हैं। देश में सर्वाधिक बाघों के शिकार और मौत का कलंक भी मध्यप्रदेश के माथे पर है। 

मानव संघर्ष बढ़ रहा

बाघ प्रेमी राशिद नूर खान ने बताया कि प्रदेश में वर्तमान में 875 बाघ हैं। स्टडी के मुताबिक एक बाघ अपनी टेरिटरी करीब 50 वर्ग किलोमीटर का दायरे में बनाता है। वर्तमान में अभ्यारण्य और टाइगर रिजर्व में क्षमता से अधिक बाघ मौजूद हैं। ऐसे में बाघों का आपसी संघर्ष तो बढ़ रही रहा है बल्कि मानव-बाघ संघर्ष की घटनाएं भी बढ़ रही हैं। उन्होंने बताया कि राजधानी भोपाल के नगरीय सीमा क्षेत्र में ही 18 से 22 बाघों की मूमेंट अब स्थाई तौर पर हो रहा है। केरवा, कलियासोत, समसगढ़ समेत अन्य रहवासी क्षेत्र में बाघ मवेशियों का शिकार कर रहे हैं। यह क्षेत्र ही पहले जंगलों में तब्लीद थे जो अब घनी आबादी की ओर आगे बढ़ते जा रहे हैं। सरकार की नियत भी बाघ संरक्षण पर कम और अतिक्रमण के साथ अवैध निर्माणों को बढ़ावा देने की नजर आती है। जरूरी है कि वन क्षेत्रों का दायरा बढ़ाया जाए। क्योंकि मानव बाघ संघर्ष की बढ़ती घटनाएं सिर्फ सरकार की नाकामी हैं। इसमें बाघों का दोष नहीं।

एमपी में माफियाओं का जंगल राज: कांग्रेस

मामले पर कांग्रेस ने सरकार पर आरोप लगाया कि एमपी के जंगल में माफियाओं का जंगल राज है। कांग्रेस विचार विमर्श विभाग प्रमुख भूपेंद्र गुप्ता ने आरोप लगाया कि जंगलों को बर्बाद किया जा रहा है। अवैध गतिविधियों को बढ़ावा देने वाली बीजेपी सरकार ही इन घटनाओं की जिम्मेदार है। जब तक जंगलों को लूटने का काम जारी रहेगा तब तक न तो वन्य प्राणी और मानव जाति दोनों ही सुरक्षित नहीं।

ऐसे मामलों पर राजनीति नहीं करनी चाहिए: बीजेपी

उधर, कांग्रेस के आरोप पर बीजेपी ने पलटवार करते हुए कहा कि सरकार हर स्तर पर बाघों के संरक्षण का प्रयास कर रही है। बीजेपी प्रदेश प्रवक्ता मिलन भार्गव ने कहा कि जंगलों के दायरे को बढ़ाने के लिए भी प्रयास किए जा रहे हैं। कई निर्देश भी बीते दिनों मुख्यमंत्री ने अफसरों को दिए हैं। बीजेपी ने कांग्रेस को नसीहत दी कि कांग्रेस शासनकाल और बीजेपी शासनकाल में बाघों की संख्या को लेकर अध्ययन करें। ऐसे मामलों पर राजनीति नहीं करनी चाहिए।

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