उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में 10 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव (By-Elections) होने वाले हैं. ऐसे में उपचुनाव से पहले समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) ने माता प्रसाद पांडे को नेता प्रतिपक्ष बनाकर बड़ा दांव चल दिया है.

दरअसल, माता प्रसाद पांडे ब्राह्मण समाज से ताल्लुक रखते हैं. वे 7 बार के विधायक हैं और दो बार यूपी विधानसभा के अध्यक्ष भी रह चुके हैं. ऐसे में माता प्रसाद को नेता प्रतिपक्ष बनाना सीधे तौर पर सपा की ब्राह्मण वोट को साधने की कोशिश है.

अखिलेश यादव ने माता प्रसाद के चयन के जरिए न सिर्फ बड़ा मैसेज देने की कोशिश की बल्कि PDA फॉर्मूले का विस्तार भी किया. दरअसल, सपा के PDA में पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक/आधी आबादी आता है. ऐसे में ब्राह्मण चेहरे को नेता प्रतिपक्ष बना देने से अप PDA में अगड़ा भी जुड़ गया है.

राजनीतिक पंडितों का मानना सपा को लगने लगा है कि ब्राह्मण वोट भी जरूरी है. अखिलेश यादव को पता है कि सिर्फ आधार, जाति और छिटके वोट से सपा को नहीं चलाया जा सकता.

ब्राह्मणों को ध्यान में रखते हुए चला दांव

अखिलेश यादव ने ब्राह्मणों को ध्यान में रखते हुए दांव चला जो सवर्णों के वोट बैंक को छीनने की कोशिश भी माना जा रहा है. सपा उस नैरेटिव को भी तोड़ना चाहती है, जिसके तहत उसे सिर्फ और सिर्फ यादवों की पार्टी समझा जाता है.

अखिलेश यादव ने चला मास्टरस्ट्रोक चला

माता प्रसाद पांडे अखिलेश यादव के बेहद करीबी माने जाते हैं. फिलहाल सिद्धार्थनगर जिले के इटावा से विधायक हैं. अखिलेश यादव ने ब्राह्मण चेहरे को चुनकर न सिर्फ मास्टरस्ट्रोक चला बल्कि पार्टी की इमेज सुधारने के भी प्रयास किए हैं.

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