दिल्ली के सीएम श्री स्कूलों में कक्षा छह में प्रवेश के लिए कराई जा रही प्रवेश परीक्षा के खिलाफ एक 11 वर्षीय छात्र ने दिल्ली हाईकोर्ट(Delhi High Court) का रुख किया है। याचिकाकर्ता का कहना है कि यह परीक्षा बच्चों के मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा के अधिकार (RTE Act, 2009) का उल्लंघन करती है। बच्चे की याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।

यह अपील मास्टर जनमेश सागर ने अपने पिता के माध्यम से दाखिल की है। यह याचिका हाईकोर्ट की सिंगल बेंच के उस निर्णय को चुनौती देती है, जिसमें सीएम श्री स्कूलों में कक्षा 6 के लिए प्रवेश परीक्षा को वैध करार दिया गया था। बच्चे की ओर से वरिष्ठ वकील अशोक अग्रवाल और उनकी कानूनी टीम ने अदालत में पक्ष रखा।

दिल्ली हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच, जिसमें मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला शामिल हैं, ने इस मामले में दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है। अदालत ने अगली सुनवाई 10 फरवरी 2026 के लिए निर्धारित की है। सभी पक्षों के वकीलों ने नोटिस स्वीकार कर लिया।

क्या है बच्चे की आपत्ति ?

अपील में तर्क दिया गया है कि नि:शुल्क और अनिवार्य शिक्षा के अधिकार कानून (RTE Act, 2009) के तहत प्राथमिक व उच्च प्राथमिक स्तर पर किसी भी प्रकार की प्रवेश परीक्षा या चयन प्रक्रिया की अनुमति नहीं है। याचिकाकर्ता का कहना है कि कक्षा छह भी इसी श्रेणी में आती है, इसलिए प्रवेश परीक्षा लेना इस कानून के विरुद्ध है। उनका तर्क है कि यह कानून इस उद्देश्य से बनाया गया है कि प्रत्येक बच्चे को बिना भेदभाव, समान अवसर और सहज रूप से शिक्षा प्राप्त हो सके।

याचिका में यह भी तर्क दिया गया है कि प्रवेश परीक्षा जैसी व्यवस्था से आर्थिक रूप से कमजोर और आम परिवारों के बच्चों को नुकसान होता है, जिसके कारण शिक्षा में समानता और अवसर की भावना कमजोर पड़ती है। यह विवाद 23 जुलाई 2025 को दिल्ली सरकार द्वारा जारी उस सर्कुलर से संबंधित है, जिसमें 2025-26 सत्र के लिए कक्षा 6 से 8 तक के प्रवेश नियम निर्धारित किए गए थे। याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट से मांग की है कि कक्षा छह के लिए प्रवेश परीक्षा को अवैध घोषित किया जाए।

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