टाटा ग्रुप के चेयरमैन Ratan Tata ने असम में हुए उद्घाटन कार्यक्रम के दौरान कहा कि मैं अपनी जिंदगी के आखिरी साल असम स्वास्थ्य सेवा को बेहतर बनाने के लिए समर्पित कर रहा हूं ताकि वैश्विक स्तर पर इसकी पहचान हो सके. असम दुनिया को बता सके कि उनके यहां भी कैंसर का अब विश्वस्तरीय इलाज संभव है. इस बात को कहने के पीछे जानिए वजह..

1932 में ल्यूकेमिया यानी खून के कैंसर की वजह से लेडी मेहरबाई टाटा की मौत हो गई थी. इसके बाद उनके पति दोराबजी टाटा ने भारत में वैसी सुविधाओं वाला एक अस्पताल खोलने का सपना देखा, जैसे विदेशी अस्पताल में उनकी पत्नी का इलाज हुआ था. दोराबजी टाटा की मौत के बाद जेआरडी टाटा के प्रयास से टाटा मेमोरियल सेंटर का सपना साकार हो सका.

हेल्थ और फिटनेस स्टार्टअप CureFit में भी रतन टाटा ने निवेश किया हुआ है. वह पिछले कई सालों से हेल्थकेयर सेक्टर को मजबूत करने की कोशिशें करते रहे हैं और अब जिंदगी के बचे दिनों में वह सिर्फ स्वास्थ्य के लिए काम करना चाहते हैं. टाटा ट्रस्ट तेजी से गांव-गांव तक हेल्थकेयर सुविधाएं पहुंचाने में लगा है.

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बता दें कि केंद्र व राज्य सरकार द्वारा असम में कुल सात कैंसर अस्पताल खोले जा रहे हैं जिसमें टाटा ट्रस्ट भी सहयोग कर रही है. अपने पांच मिनट के संबोधन में रतन टाटा टूटी-फूटी हिंदी में अपने दिल की बात बोले. उन्होंने कहा कि मेरी “जिंदगी के आखिरी साल स्वास्थ्य के नाम समर्पित” है.

पीएम मोदी के साथ रतन टाटा


उन्होंने कहा कि मैं असम की सरकार और हमारे प्रधानमंत्री को धन्यवाद बोलता हूं जो असम को आगे बढ़ाने में सहयोग कर रहे हैं. दिल से आभार ये स्टेट आगे जाएगा, इंडिया का ये स्टेट आगे बढ़ेगा. इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी रतन टाटा के संबोधन को बड़ी तलीनता से सुन रहे थे और उनके हर एक संबोधन पर ताली बजाकर अभिवादन भी किया.

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