वीरेंद्र गहवई, बिलासपुर। बिलासपुर के छत्तीसगढ़ भवन के गार्डन में शराबखोरी की सूचना पर बीती रात सिविल लाइन पुलिस ने रेड मारी। इस दौरान रसूखदार नेता और कारोबारियों में अफरा-तफरी मच गई। पुलिस ने 6 लोगों को पकड़कर सिविल लाइन थाना लेकर पहुंची, जहां कांग्रेस नेता और होटल कारोबारी समेत चार लोगों के खिलाफ कार्रवाई की गई है। इस बीच चर्चा है कि पुलिस राजनीतिक दबाव में थी, इसलिए सभी के खिलाफ आबकारी एक्ट के तहत अपराध दर्ज कर छोड़ दिया।

बात दें कि छत्तीसगढ़ भवन जहां हर दिन वीवीआईपी मूवमेंट होता है, उसके गार्डन में 4-6 नहीं, दर्जन भर से अधिक नेता थे, लेकिन पुलिस ने जैसे ही रेड मारी, तो कई लोग पुलिस को चकमा देकर भाग निकले। पुलिस अफसरों का कहना है कि पुलिस की टीम ने घेराबंदी कर 6 लोगों को पकड़ा था, इनमें से दो लोगों ने शराब का सेवन नहीं किया था, इसलिए उनके खिलाफ किसी तरह की कोई कार्रवाई नहीं की गई। पकड़े गए लोगों में कांग्रेस नेता धर्मेश शर्मा, होटल व्यवसायी शरद शर्मा, एस के तिवारी और संजय माहेश्वरी को शराब का सेवन करते पाए जाने पर आबकारी एक्ट के तहत कार्रवाई की गई।

पुलिस की कार्यशैली पर उठे गंभीर सवाल

कार्रवाई को लेकर पुलिस की कार्यशैली पर सवाल भी उठ रहे हैं। आमतौर पर पुलिस जुए, सट्टे, कबाड़, एमवी एक्ट, शराब की छोटी-छोटी कार्रवाई में जितने एक्शन में होती है, रसूखदार, ऊंची पहुंच वाले और राजनीतिक दलों से जुड़े लोगों के पकड़े जाने के बाद पुलिस अफसर के हाथ-पांव फूलने लगते हैं। इसलिए सख्त कार्रवाई की उम्मीद बेमानी है।

पुलिस ने न तो प्रेस नोट डाला, न ही फोटो या वीडियो

अमूमन हर छोटी कार्रवाई में भी आरोपियों को पकड़कर पुलिस के अफसर पुलिस के सोशल मीडिया ग्रुप में आरोपियों का फोटो और वीडियो फुटेज डालने में कोई देरी नहीं करते… लेकिन ये हिम्मत भी केवल आम लोगों के लिए दिखाई जाती है। जब कोई रसूख वाला पकड़ा जाता है, तो पुलिस ग्रुप में न कोई फोटो डाली जाती, न ही प्रेस विज्ञप्ति जारी होती है। जाहिर सी बात है, इस मामले में भी शहर के पुलिस अफसर की उंगलियों ने मोबाइल के स्क्रीन पर हरकत तक नहीं की, क्योंकि मामला राजनीतिक दलों से जुड़ा था।

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