नवजात शिशु, नाजुक होते हैं और उनकी केयर में एक्सट्रा ध्यान देने की आवश्यकता होती है. ठीक वैसे ही उनकी आंखों की केयर में बहुत अहतियात बरतने की आवश्यकता है. जन्म के तुरंत बाद जब बच्चा मां के पेट से बाहर आता है और बाहरी वातावरण के संपर्क में आता है तो कई प्रकरा की समस्याओं से दो-चार होता है. वह बता तो सकता नहीं है, ऐसे में मां-पिता को उसकी प्रॉब्लम समझनी होगी. इन्हीं समस्याओं में से एक है आंखों से पानी आना. आज हम आपको इस समस्या के बारे में बतायेंगे की इससे कैसे बचें, कैसे केयर करें यह भी समझते हैं.

पहले आंखों में पानी आने की वजह जानें
नवजात की आंखों से आंसू आने का कारण अवरुद्ध नासोलैक्रिमल डक्ट (आंसू की नली) है, जो बिल्कुल सामान्य स्थिति है और अमूमन कुछ समय के बाद आंसू आना बंद भी हो जाते हैं. चिंता की बात तब है जब आंसू के साथ लालिमा रहे, सूजन रहे या पीले मवाद आए. यह संक्रमण हो सकता है. यहां से नवजात शिशु पर विशेष ध्यान देने और शिशुरोग विशेषज्ञ को दिखाने की आवश्यकता पड़ सकती है. इसलिए इसे नजरअंदाज न करें.
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क्रिगलर मसाज
माताएं, तर्जनी (उंगली) को साफ करें, और उसे अपने बच्चे की आंख के अंदरूनी कोने के पास धीरे से दबाएं. नाक के किनारे नीचे की ओर स्ट्रोक करें. इसे चार बार दोहराएं. लैक्रिमल सैक मसाज अवरुद्ध नली को खोलने में मददगार साबित होगी.
आंखों की सफाई बेहद जरूरी
शिशु की आंखों से पानी निकलता है, जो कईयों में चिपचिपा सा महसूस होता है. सूती कपड़े को गुनगुने पानी में डूबाकर आंखों को हल्के हाथ से साफ करें. अंदरूनी कोने से बाहर की ओर पोंछें. मदर मिल्क की एक बूंद, एंटीबॉडी का काम करती है नवजात शिशु की आंखों की सफाई के लिए मदर मिल्क का इस्तेमाल होता आ रहा है. इसकी वजह है, मां के दूध में प्राकृतिक एंटीबॉडी का होना जो, सूजन को कम करता है. अगर, शिशु को आंख में किसी भी प्रकार की समस्या है तो फ्रेश मदर मिल्क की एक बूंद संक्रमण को रोकती है. सामान्य तौर पर भी नवजात बच्चे की आंख में मदर मिल्क डाला जा सकता है.
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मांओं की जिम्मेदारी है कि वे बच्चे की समस्या को पहचानें
मांओं को इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि बच्चों की आंखों में कोई समस्या तो नहीं है. अगर है तो तत्काल उपाए करने चाहिए. जैसे प्राथमिक तौर पर साफ तौलिया, रुमाल या कॉटन बॉल से ही आंखें साफ करें. चेहरे और मुंह को अच्छे से नियमित तौर पर साफ करें. हाथ को अच्छी तरह से धोकर, पोंछकर ही बच्चों की आंखों को छुएं. ताकि कोई संक्रमण उस तक न पहुंचे. किसी भी प्रकार के धार्मिक या पारंपरिक झाड़-फूंक से बचें. समस्या गंभीर लगे तो डॉक्टर से सलाह लें. एक और खास बात कि बिना डॉक्टरी सलाह के बाजार से खरीदकर कोई भी आई ड्रॉप शिशु की आंख में न डालें. इससे समस्या खत्म होने के बजाए और बिगड़ सकती है. आंख खराब होने तक की नौबत आ सकती है.
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