सावन के महीने में श्रद्धालु भगवान शिव की विशेष पूजा-अर्चना करते हैं. कनखल (उत्तराखंड) को भगवान शिव जी का ससुराल माना जाता है. कनखल स्थित भगवान शिव की ससुराल कहे जाने वाले श्री दक्षेश्वर महादेव मंदिर उत्तराखंड के कनखल, हरिद्वार में स्थित है. शिवपुराण के अनुसार हिमांचल नगरी के राजा दक्ष की पुत्री देवी सती से शिव का विवाह देवभूमि हरिद्वार के कनखल में ही संपन्न हुआ था.
मान्यता है कि यह वहीं मंदिर है, जहां राजा दक्ष ने भव्य यज्ञ का आयोजन किया था. इस यज्ञ में भगवान शिव के अलावा राजा दक्ष ने सभी देवी-देवताओं, ऋषियों और संतों को आमंत्रित किया गया था. माता सती अपने पिता द्वारा पति का अपमान नहीं सह पाईं और यज्ञ की अग्नि में कूदकर अपने प्राण त्याग दिए. मान्यता है कि जिस यज्ञ कुण्ड में माता सती ने प्राण त्याग किए थे. आज भी मंदिर में वह स्थान है. कथाओं के अनुसार, जब यह बात महादेव को पता लगी तो उन्होंने गुस्से में राजा दक्ष का सिर काट दिया. देवी-देवताओं के अनुरोध पर भगवान शिव ने राजा दक्ष को जीवनदान दिया. उस पर बकरे का सिर लगा दिया. वहीं, जब राजा दक्ष को अपनी गलतियों का एहसास हुआ तो उन्होंने भगवान शिव से क्षमा मांगी. महादेव ने राजा दक्ष को माफी देते हुए वादा किया कि इस मंदिर का नाम हमेशा उनके नाम से जुड़ा रहेगा. यही वजह है कि इस मंदिर का नाम दक्षेश्वर महादेव मंदिर है.
दक्ष महादेव मंदिर के निकट गंगा नदी बहती है. जिसके किनारे पर दक्षा घाट है. जहां शिव भक्त गंगा में स्नान कर भगवान शिव के दर्शन करते हैं. राजा दक्ष के यज्ञ का विवरण वायु पुराण में दिया गया है. दक्षेश्वर महादेव मंदिर में ब्रह्मा, विष्णु का भी स्थान है. दक्षेस्वर महादेव मंदिर का प्रबंधन श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी धार्मिक संस्था द्वारा किया जाता है. यहां यज्ञ कुण्ड, सती शरीर त्याग स्थल, ब्रह्मा, विष्णु देवताओं का स्थल आदि भी है.
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