श्री गणेश को ‘मोदकप्रियम’ कहा गया है, जिसका अर्थ है, जिन्हें मोदक (लड्डू) अत्यंत प्रिय हैं. हर गणेश पूजा में लड्डुओं का विशेष स्थान होता है. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि गणेश जी को लड्डू क्यों इतने प्रिय हैं? इसके पीछे एक बहुत ही रोचक और भावनात्मक कथा प्रचलित है.

इससे जोड़ी रोचक कथा

एक बार की बात है, देवताओं ने भगवान गणेश को ‘विद्या, बुद्धि और ऐश्वर्य’ का प्रतीक मानकर उन्हें आदर सहित एक स्वर्ण थाली में भरकर हजारों व्यंजन परोसे. लेकिन गणेश जी ने सिर्फ एक ही चीज को हाथ लगाया मोदक. सभी देवता आश्चर्य में पड़ गए.

तब माता पार्वती ने बताया कि मोदक में सिर्फ स्वाद ही नहीं, बल्कि श्रद्धा, प्रेम और ज्ञान का प्रतीक भी समाया है. कहते हैं एक बार गणेश जी ने अपनी माता से कहा था, जो भी मुझे सच्चे मन से लड्डू अर्पित करेगा, उसके जीवन में बुद्धि, समृद्धि और संतुलन बना रहेगा.

इसके अलावा एक कथा के अनुसार जब गणेश जी ने अपने माता-पिता शिव-पार्वती की तीन बार परिक्रमा कर उन्हें सम्पूर्ण ब्रह्मांड मान लिया, तब प्रसन्न होकर पार्वती जी ने उन्हें एक विशेष मोदक दिया जो ज्ञान, विवेक और अमरता का प्रतीक था. तभी से गणेश जी को मोदक और लड्डू अत्यंत प्रिय हो गए. इसलिए जब भी गणेश जी को लड्डू अर्पित किए जाते हैं, वो केवल मिठाई नहीं, बल्कि हमारी श्रद्धा, भक्ति और ज्ञान का प्रसाद होते हैं.