Hindenburg And Short Selling: :अमेरिकी शॉर्ट सेलर फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च की नई रिपोर्ट सामने आ चुकी है। रिपोर्ट में हिंडनबर्ग ने दावा किया है कि SEBI चेयरमैन माधबी पुरी बुच (Madhabi Puri Buch) की अडानी मनी साइफनिंग घोटाले (Adani Money Siphoning Scam) में इस्तेमाल की गई अस्पष्ट ऑफशोर संस्थाओं में हिस्सेदारी थी। हिंडनबर्ग ने व्हिसिल ब्लोअर डॉक्यूमेंट्स के आधार पर आरोप लगाया है कि SEBI की चेयरपर्सन माधबी और उनके पति धवल बुच की मॉरिशस की ऑफशोर कंपनी ‘ग्लोबल’ डायनामिक अपॉर्च्युनिटी फंड’ में हिस्सेदारी है। इस कंपनी में गौतम अडाणी (Gautam Adani) के भाई विनोद अडाणी (Vinod Adani) ने अरबों डॉलर का निवेश किया है। इस पैसे का इस्तेमाल शेयरों के दामों में तेजी लाने के लिए किया गया है। इसके कारण ही सेबी ने अडानी ग्रुप (Adani Group) के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की है। वहीं हिंडनबर्ग के रिपोर्ट के बाद से ही देश की राजनीति एक बार फिर से गरमा गई है। विपक्ष केंद्र की मोदी सरकार और अडानी पर लगातार हमले कर रही है। तो आइए जानते हैं आखिर क्यों अडानी ग्रुप के पीछे पड़ा है Hindenburg हाथ धो कर पीछे पड़ा है। इस खुलासे के पीछे हिंडनबर्ग का ‘हिडन’ मंसूबा क्या है और ए खुलासे की आड़ में किस तरह शॉर्ट सेलिंग से हिंडनबर्ग अरबों की कमाई कर रहा है।
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हिंडनबर्ग की नई रिपोर्ट क्या कहती है?
अमेरिका स्थित शॉर्ट सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च ने विगत शनिवार (10 अगस्त 2024) को अपनी नई रिपोर्ट में कहा है कि सेबी की चेयरपर्सन माधबी बुच और उनके पति धवल बुच के पास अडानी समूह के कथित वित्तीय कदाचार से जुड़ी ऑफशोर एंटिटी में हिस्सेदारी है। व्हिसलब्लोअर दस्तावेजों का हवाला देते हुए दावा किया गया है कि ये संस्थाएं गौतम के बड़े भाई विनोद अडानी की ओर से रुपयों की हेराफेरी करने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले नेटवर्क का हिस्सा थीं। रिपोर्ट के अनुसार, अप्रैल 2017 से मार्च 2022 तक बुच की अगोरा पार्टनर्स नामक एक ऑफशोर सिंगापुर की कंसल्टिंग फर्म में 100 फीसदी हिस्सेदारी थी। 16 मार्च, 2022 को सेबी चेयरपर्सन के रूप में उनकी नियुक्ति के दो सप्ताह बाद उन्होंने चुपचाप अपने पति को शेयर ट्रांसफर कर दिए। रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि अडानी समूह के खिलाफ जांच करने में सेबी की “निष्पक्षता” “संभावित हितों के टकराव” के कारण ‘संदिग्ध’ है।
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हिंडनबर्ग के आरोप पर अडानी ग्रुप की सफाई
हिंडनबर्ग की नई रिपोर्ट पर अडानी ग्रुप की ओर से बयान जारी किया गया है और इसमें लगाए गए आरोपों को सिरे से खारिज किया गया है। पूरी रिपोर्ट को सिर्फ मुनाफा कमाने की कोशिश करार दिया है। वहीं बाजार के विशेषज्ञों का मानना है कि हिंडनबर्ग के द्वारा जो आरोप लगाए गए हैं, उनमें दम नहीं है। वे सिर्फ कीचड़ उछालने का प्रयास भर हैं। गौतम अडानी (Gautam Adani) के नेतृत्व वाले अडानी ग्रुप की ओर से भी बयान जारी किया गया है और हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में किए गए दावों को सिरे से खारिज किया है। ग्रुप ने इन आरोपों को तथ्य और कानून की उपेक्षा वाला करार दिया। इसमें कहा गया है कि इस रिपोर्ट में लगाए गए आरोप दुर्भावना पूर्ण और तत्थों को जोड़-तोड़ कर पेश किए गए हैं। हम समूह के खिलाफ हिंडनबर्ग द्वारा लगाए गए इन सभी आरोपों को पूरी तरह से खारिज करते हैं, जो सिर्फ हमें बदनाम करने वाले दावों की रि-साइक्लिंग है। अडानी ग्रुप की ओर से कहा गया है कि पहले लगाए गए इन सभी आरोपों की गहन जांच की जा चुकी है, जो पूरी तरह से निराधार साबित हुए हैं। इन्हें सुप्रीम कोर्ट ने जनवरी 2024 में पहले ही खारिज कर दिया है। हिंडनबर्ग की रिपोर्ट पर जारी अपने बयान में अडानी ग्रुप की ओर से दोहराया गया कि, ‘हमारा ओवरसीज होल्डिंग स्ट्रक्चर पूरी तरह से पारदर्शी है, जिसमें सभी तत्थों और विवरणों को नियमित रूप से कई सार्वजनिक दस्तावेजों में प्रदर्शित किया जाता है। अदानी समूह का इस जानबूझकर बदनाम करने के प्रयास में बताए गए व्यक्तियों या मामलों के साथ बिल्कुल भी व्यावसायिक संबंध नहीं है।
सेबी चीफ माधबी पुरी ने आरोपों पर दिया जवाब
वहीं सेबी की अध्यक्ष माधबी पुरी बुच और उनके पति ने शनिवार को हिंडनबर्ग के आरोपों को निराधार बताया और कहा कि उनका फाइनेंस एक खुली किताब है। माधबी पुरी बुच और धवल बुच ने एक बयान में यह भी कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि हिंडनबर्ग रिसर्च, जिसके खिलाफ सेबी ने प्रवर्तन कार्रवाई की है और कारण बताओ नोटिस जारी किया है, उसने उसी के जवाब में चरित्र हनन का प्रयास करने का विकल्प चुना है। माधबी बुच ने कहा, ‘हमारे खिलाफ 10 अगस्त, 2024 की हिंडनबर्ग रिपोर्ट में लगाए गए आरोपों के संदर्भ में हम यह कहना चाहेंगे कि हम रिपोर्ट में लगाए गए निराधार आरोपों और आक्षेपों का दृढ़ता से खंडन करते हैं।
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अब समझिए हिंडनबर्ग का ‘हिडन’ मंसूबा
हिंडनबर्ग एक शॉर्ट सेलिंग कंपनी है, जो इस तरह के आरोप लगाकर बाजार में शॉर्ट सेलिंग कर मुनाफा कमाने का काम करती है। इस कंपनी के फाउंडर नाथन एंडरसन हैं। कंपनी का काम शेयर मार्केट, इक्विटी, क्रेडिट और डेरिवेटिव्स पर रिसर्च करना है। इस रिसर्च के जरिए कंपनी पता लगाती है कि क्या स्टॉक मार्केट में कहीं गलत तरह से पैसों की हेरा-फेरी हो रही है? इसे लेकर रिसर्च रिपोर्ट जारी करती है। इन्वेस्टमेंट फर्म होने के साथ ही हिंडनबर्ग शॉर्ट सेलिंग कंपनी भी है. कंपनी की प्रोफाइल के मुताबिक, ये एक एक्टिविस्ट शॉर्ट सेलर है और इसके जरिए अरबों रुपये की कमाई करती है। शॉर्ट सेलिंग एक तरह की ट्रेडिंग या इन्वेस्टमेंट स्ट्रेटजी है। इसमें कोई किसी खास कीमत पर स्टॉक या सिक्योरिटीज खरीदी जाती है और फिर कीमत ज्यादा होने पर उसे बेच देता है, जिससे उसे जोरदार फायदा होता है।
शॉर्ट सेलिंग के खेल को समझें
ये कंपनी शॉर्ट सेलर रूप में मोटी कमाई करती है। शॉर्ट सेलिंग एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें निवेशक उन स्टॉक्स को उधार लेते हैं जिन्हें वे उम्मीद करते हैं कि उनकी कीमत गिर जाएगी और फिर उन्हें बेच देते हैं। जब स्टॉक की कीमत गिर जाती है तो वे उन्हें वापस खरीदते हैं और उधारदाता को लौटाते हैं, जिससे उन्हें लाभ होता है। उदाहरण के तौर पर समझें तो अगर किसी कंपनी के शेयर को शॉर्ट सेलर इस उम्मीद से खरीदता है कि भविष्य में 200 रुपये का स्टॉक गिरकर 100 रुपये पर आ जाएगा। इसी उम्मीद में वो दूसरे ब्रोकर्स से इस कंपनी के शेयर उधार के तौर पर ले लेता है। ऐसा करने के बाद शॉर्ट सेलर इन उधार लिए गए शेयरों को दूसरे निवेशकों को बेच देता है, जो इसे 200 रुपये के भाव से ही खरीदने को तैयार बैठे हैं। जब उम्मीद के मुताबिक, कंपनी का शेयर गिरकर 100 रुपये पर आ जाता है तो शॉर्ट सेलर उन्हीं निवेशकों से शेयरों की खरीद करता है। गिरावट के समय में वो शेयर 100 रुपये के भाव पर खरीदता है और जिससे उधार लिया था उसे वापस कर देता है। इस हिसाब से उसे प्रति शेयर 100 रुपये का जोरदार मुनाफा होता है। इसी रणनीति के तहत हिंडनबर्ग कंपनियों को शॉर्ट कर कमाई करती है।
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खुलासों की आड़ में चल रहा बड़ा खेल
हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट्स के बाद भारतीय शेयर बाजार में कुछ कंपनियों के शेयरों की कीमतों में भारी गिरावट आई है। इस स्थिति का फायदा उठाने के लिए विभिन्न मार्केट प्लेयर्स शॉर्ट सेलिंग और अन्य वित्तीय रणनीतियों का उपयोग कर सकते हैं। हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के कारण शेयरों की कीमतें गिरने पर कुछ निवेशक शॉर्ट सेलिंग से मुनाफा कमाने की कोशिश कर सकते हैं। इसके अलावा मार्केट में अनिश्चितता के कारण कुछ निवेशक पैनिक सेलिंग करते हैं, जिससे शेयरों की कीमतें और भी गिर सकती हैं, जिसका लाभ शॉर्ट सेलर्स उठा सकते हैं।
शॉर्ट सेलिंग से इस तरह कमाते हैं इन्वेस्टर
इस मामले में शॉर्ट सेलर ने टारगेट कंपनी के हर शेयर पर 100 रुपये की कमाई की। उसने जिन शेयरों को 500 रुपये के भाव पर उधार लिया था, वे शेयर लौटाने के लिए उसे सिर्फ 400 रुपये में मिल गए। यानी हर शेयर पर 100 रुपये का मुनाफा। इस तरह उसने एक सप्ताह में सिर्फ 100 शेयरों को शॉर्ट कर 10,000 रुपये का मुनाफा बना लिया। हिंडनबर्ग ने अडानी समूह के मामले में पहले शेयरों पर शॉर्ट पोजिशन लिया और उसके बाद भाव गिराने के लिए उसने विवादास्पद रिपोर्ट जारी की। इसे दूसरे शब्दों में ऐसे भी कहा जा सकता है कि उसने अपनी कमाई के लिए जान-बूझकर अडानी के शेयरों के भाव को गिराया।
बाजार के लिए क्यों खराब है शार्ट सेलिंग
शार्ट सेलिंग के टेक्निक से अबतक तो आप समझ ही गए होंगे कि यह ट्रेडिंग स्टाइल कितना रिस्क भरा है। ये बाजार के लिए भी उतना ही खराब है जितना निवेशकों के लिए। इसमें ब्रोकर एक तय समय के लिए शेयरों को उधार देता है। अगर उस तय समय में शेयर के दाम गिरने की बजाय बढ़ गए तो ट्रेडर को मंहगे रेट पर वह शेयर वापस खरीदकर ब्याज के साथ ब्रोकर को वापस करने होंगे जो उसे कर्जदार तक बना सकता है। इसलिए, शॉर्ट सेलिंग आमतौर पर बहुत मझे हुए ट्रेडर्स द्वारा ही किया जाता है। हिंडनबर्ग भी एक शॉर्ट सेलर फर्म है। यह ऐसी कंपनियों पर अपनी नजर रखती है जिनके शेयर अप्रत्याशित रूप से बहुत तेजी से ऊपर जा रहे होते हैं। हिंडनबर्ग महीनों तक उस पर रिसर्च करती है और अगर उसे गड़बड़ी लगती है तो उस पर शॉर्ट पोजिशन लेकर वह गड़बड़ियां पब्लिक के सामने उजागर कर देती है। इससे कंपनी के शेयर क्रैश कर जाते हैं और हिंडनबर्ग शॉर्ट सेलिंग करके पैसा बना लेती है।
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एक्सपर्ट से समझे आखिर क्या चाहता है हिंडनबर्ग
एक्टपर्ट का कहना है कि हिंडनबर्ग के आरोपों के पीछे लाभ हासिल किए जाने की मंशा छिपी हो सकती है। चूंकि, पिछली रिपोर्ट से मार्केट में बड़े स्तर पर उथल-पुथल देखने को मिली थी। ऐसे में नई रिपोर्ट से भी मार्केट को प्रभावित किया जा सकता है। कुछ समय के लिए शेयर मार्केट और अडाणी स्टॉक्स पर असर पड़ सकता है। हालांकि, लंबे समय तक बड़े इंपैक्ट या रिस्क नहीं है। अगर गिरावत आती है तो निवेशक अडाणी स्टॉक्स खरीदने पर विचार कर सकते हैं।
एक्सपर्ट का कहना था कि रिपोर्ट में जो आरोप लगाए गए हैं, उससे गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं। इनके जवाब सामने आने से ना सिर्फ रेगुलेटरी सिस्टम की साख और मजबूत होगी, बल्कि बाजार में भी असर देखने को मिल सकता है। हालांकि, आरोपों से अडाणी ग्रुप से स्टॉक्स और शेयर बाजार में बड़ा जोखिम पैदा होने की संभावना नहीं है। इसके पीछे एक्सपर्ट का तर्क है कि हिंडनबर्ग ने सालभर पहले जो आरोप लगाए थे, उससे उथल-पुथल मची और मार्केट को भारी नुकसान हुआ. लेकिन, बाद में क्लीन चिट मिली तो मार्केट में फिर तेजी लौटी। ऐसे में संभावना है कि इस बार ज्यादातर निवेशक इस रिपोर्ट को तवज्जो नहीं देंगे।
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