नई दिल्ली : पार्टी मुख्यालय में हुई एक प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए आम आदमी पार्टी के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष सौरभ भारद्वाज ने कहा कि आजकल सोशल मीडिया पर एक खबर छाई हुई है, कि गौतम अडानी और उनके भतीजे सागर अडानी के खिलाफ अमेरिका के डिपार्मेंट आफ जस्टिस तथा यूएस सिक्योरिटी एंड एक्सचेंज कमीशन ने नवंबर 2024 में एक मुकदमा शुरू किया। उन्होंने कहा कि इस संबंध में संबंधित विभाग द्वारा 21 सितंबर 2024 को अडानी के नाम पर एक समन भी जारी किया गया था और उस समन के तहत गौतम अडानी और सागर अदानी से 21 दिन के भीतर इस संबंध में अपना जवाब दाखिल करने के लिए कहा गया था। उन्होंने बताया कि यह समन अडानी जी के अहमदाबाद स्थित और अमेरिका में स्थित निवास स्थान के पते पर भेजे गए थे। सौरभ भारद्वाज ने कहा कि इस प्रकरण में एक चौंकाने वाली बात यह है, कि लगभग 6 महीने हो चुके हैं अमेरिका के द्वारा समन जारी किए हुए, परंतु वह अभी तक अडानी जी तक नहीं पहुंचा है। उन्होंने कहा और ऐसा इसलिए है क्योंकि इस समन को अडानी जी तक पहुंचाने का काम भारत के लॉ एंड जस्टिस डिपार्टमेंट का है और वह अपना कार्य नहीं कर रहा है। सौरभ भारद्वाज ने किसी देश में सरकारी तंत्र किस प्रकार का होना चाहिए इस बात पर अमेरिका के सरकारी तंत्र का उदाहरण देते हुए कहा कि अमेरिका में छोटे से छोटा संस्थान भी स्वतंत्र रूप से कार्य करने में सक्षम है और उसका एक उदाहरण यह भी है, कि अडानी को भेजा गया समन अमेरिका के हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट द्वारा नहीं बल्कि अमेरिका के एक छोटे से डिस्ट्रिक्ट कोर्ट द्वारा भेजा गया है।
इस पूरे प्रकरण पर और अधिक जानकारी पत्रकारों के साथ साझा करते हुए सौरभ भारद्वाज ने कहा, कि यह पूरा मामला भारत के सरकारी अधिकारियों को 2200 करोड रुपए की रिश्वत देने से जुड़ा मामला है। सौरभ भारद्वाज ने बताया कि इस पूरे मामले में अमेरिका के शामिल होने के पीछे जो कारण है वह यह है, कि अडानी जी ने बिजनेस करने के लिए भारतीय निवेशकों के साथ-साथ इस बार अमेरिकी निवेशकों का भी 175 मिलियन डॉलर रुपए ले लिया। उन्होंने कहा की इन कंपनी के प्रोजेक्ट के लिए अदानी ग्रुप का लगभग 750 मिलियन डॉलर इकट्ठा करने का लक्ष्य था जिसके द्वारा पावर प्रोजेक्ट में यह पैसा लगाकर अगले 20 सालों में दो बिलियन डॉलर का प्रॉफिट कमाने का प्लान था। सौरभ भारद्वाज ने बताया कि अमेरिका में यह कानून है कि यदि कोई भी विदेशी कंपनी अमेरिका के करदाताओं का पैसा अपने व्यापार में प्रयोग के लिए लेती है तो वह अमेरिका द्वारा बनाए गए कानून फॉरेन करप्ट प्रैक्टिसेज एक्ट के अधीन आ जाता है और इस कानून के तहत वह कंपनी किसी भी प्रकार का भ्रष्टाचार करके या किसी को रिश्वत देकर लाभ नहीं कमा सकती, ऐसा करना अमेरिका में कानूनन अपराध है।
सौरभ भारद्वाज ने कहा कि अमेरिका के डिस्ट्रिक्ट कोर्ट द्वारा भेजे गए समन के अनुसार और अब तक की मिली जानकारी के अनुसार यह बताया जा रहा है, कि अडानी जी ने इस पूरे मामले में लाभ कमाने के उद्देश्य से भारत सरकार के कुछ सरकारी अधिकारियों को 256 मिलियन डॉलर अर्थात लगभग 2200 करोड रुपए रिश्वत देने का एक प्लान तैयार किया। जिसमें कुछ पैसा दिया गया और कुछ बकाया रह गया। उन्होंने कहा अमेरिका ने इस भ्रष्टाचार को पकड़ा और क्योंकि इन प्रोजेक्ट में अमेरिका के निवेशकों का पैसा भी शामिल था तो अमेरिका के फॉरेन करप्ट प्रैक्टिसेज एक्ट के अनुसार अमेरिका के डिस्ट्रिक्ट कोर्ट ने अडानी को यह समन भेजा और 21 दिन में इसपर जवाब दाखिल करने को कहा। सौरभ भारद्वाज ने कहा कि यह समझ से बिल्कुल परे है, कि इस पूरे प्रकरण में भारत सरकार विश्व स्तर पर अपनी बेइज्जती क्यों कर रही है? उन्होंने कहा कि अमेरिका के द्वारा भारत के एक उद्योगपति को समन भेजा गया और भारत की सरकार कह रही है, कि हमें अदानी मिल नहीं रहा है, कि हम उनका समन सुपुर्द कर सकें, यह बड़ी ही हास्यास्पद और शर्मनाक बात है। सौरभ भारद्वाज ने कहा कि जब कभी आम आदमी पार्टी के लोगों पर कोई आरोप लगता था तो भाजपा हमेशा कहती थी, कि आप भाग क्यों रहे हैं? ईडी या सीबीआई के समक्ष प्रस्तुत क्यों नहीं हो रहे हैं? आप कोर्ट क्यों नहीं जा रहे हैं? आज हम पूछना चाहते हैं, कि अडानी के खिलाफ अमेरिका में मुकदमा चल रहा है, अमेरिका का कोर्ट अडानी को बुला रहा है, तो अडानी जी भाग क्यों रहे हैं? कोर्ट के सामने प्रस्तुत क्यों नहीं हो रहे हैं?

सौरभ भारद्वाज ने कहा इस प्रकार के आप भारत सरकार पर पहली बार नहीं लग रहे हैं उन्होंने कहा कि की दुनिया में आरोपी का एक पैटर्न है जिसके अनुसार जब कभी भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी किसी देश की यात्रा पर जाते हैं या किसी देश का राष्ट्रपति मोदी जी से मिलने आता है तो उसके बाद उस देश में अडानी को कोई बड़ा प्रोजेक्ट मिल जाता है। उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा की दिसंबर 2023 में कीनिया के प्रधानमंत्री मोदी जी से दिल्ली आकर मिले और उसके कुछ दिन बाद अडानी को कीनिया में 1.85 बिलियन डॉलर का एयरपोर्ट ड्यूटीज का कॉन्ट्रैक्ट तथा 736 मिलियन डॉलर का पावर ट्रांसमिशन लाइंस का कॉन्ट्रैक्ट मिल गया। उन्होंने कहा कि इसको लेकर कीनिया की जनता ने विद्रोह किया और वहां की सरकार को कॉन्ट्रेक रद्द करना पड़ा। एक अन्य उदाहरण देते हुए सौरभ भारद्वाज ने कहा, कि 2015 और 2019 में नरेंद्र मोदी जी श्रीलंका के दौरे पर गए और उसके बाद अडानी जी को 442 करोड़ का पावर प्रोजेक्ट मिला। इस संबंध में श्रीलंका के एक बड़े अधिकारी ने पार्लियामेंट कमेटी में यह बयान भी दिया, कि भारत सरकार के दबाव में यह प्रोजेक्ट अडानी को दिया गया। एक और अन्य उदाहरण देते हुए सौरभ भारद्वाज ने कहा, कि 2015 और 2021 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बांग्लादेश के दौरे पर गए। इसके बाद अडानी को 1.7 बिलियन डॉलर का पावर सप्लाई का प्रोजेक्ट मिला। उन्होंने कहा इस मामले में भी भारत सरकार पर काफी आरोप लगे। इसी प्रकार से कुछ और अन्य देशों का उदाहरण देते हुए सौरभ भारद्वाज ने कहा इन देशों में भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अलग-अलग समय पर वहां के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री से मिले और उसके बाद इन देशों में भी अदानी को बहुत बड़े-बड़े प्रोजेक्ट की डील मिली।
सौरभ भारद्वाज ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी पर यह आरोप लगातार लगते रहे हैं, कि किसी देश में प्रधानमंत्री का दौरा करना और उसके तुरंत बाद अडानी को उस देश में एक बड़ा प्रोजेक्ट मिलना इन दोनों बातों के बीच कोई ना कोई संबंध जरूर है। उन्होंने कहा कि अब तक भारत सरकार पर जो लगे वह आरोप थे। परंतु अमेरिका की कोर्ट द्वारा अडानी को समन जारी करना और भारत सरकार द्वारा 6 महीने बीत जाने के बावजूद अडानी को समन सुपुर्द ने करना इस बात को दर्शाता है, कि भारत सरकार अमेरिका के डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में अडानी के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले में चल रहे मुकदमे में अडानी को बचा रही है और भारत सरकार का यह कदम पूरी दुनिया में भारत की साख पर बट्टा लगाने का काम कर रहा है।
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