अंत्येष्टि में अपनाए जाने वाले कई नियमों में से एक है पुरुषों का सिर मुंडवाना. दाह संस्कार के दौरान दाह संस्कार करने वाला व्यक्ति अपना सिर मुंडवाता है. फिर कुछ दिनों के बाद परिवार के अन्य सदस्यों का भी मुंडन किया जाता है और उनके बाल हटा दिए जाते हैं. गरुड़ पुराण में मृत्यु के बाद पुरुष सदस्यों के सिर मुंडवाने का कारण और महत्व बताया गया है. आखिर किसी के मरने के बाद मुंडन क्यों? जो जन्मा है वही मृत्यु की ओर भी ले जाता है और मृत्यु अटल सत्य है. आइए जानें कि सिर क्यों मुंडवाया जाता है और यह परंपरा क्यों चली आ रही है.
गरुड़ पुराण के अनुसार माना जाता है कि मानव बाल नकारात्मक ऊर्जा के साथ-साथ आत्माओं को भी आकर्षित करते हैं. ऐसा कहा जाता है कि मृत्यु के बाद आत्मा मोह के कारण अपने परिवार के पास लौटने की कोशिश करती है. जब तक मृत व्यक्ति का अंतिम संस्कार और 13वें दिन किया जाता है, तब तक आत्मा अपने परिवार के सदस्यों से संपर्क करने की कोशिश करती है और आत्मा का यह संपर्क परिवार के सदस्यों के बालों के माध्यम से होता है जो आगे की यात्रा में बाधा बन जाता है. आत्मा का है. इसीलिए आत्मा को प्रसन्न करने और उसकी आगे की यात्रा के लिए परिवार के सदस्यों से सभी संपर्क तोड़ देने की परंपरा है. Read More – New Year 2025 : नए साल के पहले दिन करें ये 5 काम, पूरे साल बनी रहेगी मां लक्ष्मी की कृपा …
इसका वैज्ञानिक कारण यह है कि जब किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है तो उसके शरीर में कई बैक्टीरिया तेजी से पनपने लगते हैं, जिसके कारण अंतिम संस्कार के समय भी मृतक के शरीर को छुआ जाता है, जिससे परिवार के सदस्य उन हानिकारक बैक्टीरिया के संपर्क में आ जाते हैं. यह बैक्टीरिया इंसान के बालों से भी चिपक जाते हैं और नहाने के बाद भी ये बैक्टीरिया बालों से चिपके रहते हैं. इसलिए बैक्टीरिया से बचने के लिए बाल काटना, नाखून काटना, धूप में बैठना और नहाना जैसे नियम बनाए गए हैं.
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