Lalluram Desk. दिशाओं के अनुकूल कार्य करने से हमेशा वांछित परिणाम की प्राप्ति होती है. उत्तर-पूर्व दिशा के बारे में कहा जाता है ये किसी भी कार्य के लिए शुभ होती है. वास्तुशास्त्र में पूर्व और उत्तर के बीच की दिशा को ईशान कोण कहा जाता है. यह दिशा भवन आदि जगहों में सबसे पवित्र स्थान होता है. जिसमें भगवान निवास करते हैं.

ऐसा माना जाता है कि घर के उत्तर-पूर्व कोने को हमेशा साफ रखना चाहिए ताकि घर में सुख, शांति, स्वास्थ्य और मां लक्ष्मी का वास हो. ईशान भी भगवान शिव का एक नाम है और उनका स्थान उत्तर-पूर्व दिशा में है. इसलिए घर पर भी इस दिशा का प्रयोग मंदिर या पूजा के लिए ही किया जाता है. वास्तु के अनुसार इस स्थान के लिए कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना जरूरी है.

यहां नहीं रखनी चाहिए कोई भारी वस्तु

वास्तु के अनुसार घर के उत्तर-पूर्व कोने में भूलकर भी कोई भारी वस्तु नहीं रखनी चाहिए. ऐसा माना जाता है कि अगर आप इस स्थान पर कोई भारी भरकम चीज रखते हैं तो सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह रुक जाता है. जिससे आपको आ​र्थिक हानि हो सकती है. इसलिए इस स्थान पर भारी अलमारी, स्टोर रूम आदि बनाने से बचें. घर की उत्तर दिशा सबसे पवित्र मानी जाती है और इसमें भगवान का वास माना जाता है. इसलिए इस स्थान पर कभी भी जूते-चप्पल या कूड़ा-कचरा इकट्ठा न करें. ऐसा करने से घर में नकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, और घर में परेशानियां आने लगती हैं.

घर के उत्तर-पूर्व कोने में शौचालय नहीं बनवाना चाहिए. ऐसा करने से शारीरिक और मानसिक परेशानियां हो सकती हैं और आपकी जमापूंजी इलाज पर खर्च होने लगती है. नवविवाहित जोड़े का शयनकक्ष मुख्यतः घर के उत्तर-पूर्व कोने में नहीं बनाना चाहिए. ऐसा करने से आपसी रिश्तों में खटास आती है और अनावश्यक परेशानियां पैदा होती हैं.