Why Rice is Prohibited on Ekadashi: एकादशी तिथि को हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र माना गया है. यह दिन भगवान विष्णु की आराधना और व्रत-उपवास के लिए समर्पित होता है. धार्मिक मान्यता है कि एकादशी के दिन चावल नहीं खाना चाहिए, क्योंकि यह व्रत के नियमों का उल्लंघन माना जाता है और व्रत का पुण्य नष्ट कर देता है.
शुक्रवार, 17 अक्टूबर को रमा एकादशी मनाई जा रही है. ऐसे में पौराणिक कथा के अनुसार, जब भगवान विष्णु ने ‘पाप’ नामक असुर का नाश किया, तब उसने भगवान के शरीर के रोमकूपों में शरण ली. उसी समय भगवान विष्णु ने आदेश दिया कि एकादशी तिथि पर जो व्यक्ति चावल खाएगा, उसके शरीर में वह पाप प्रवेश करेगा. इसी कारण इस दिन चावल का सेवन वर्जित माना गया है.
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चावल धार्मिक रूप से निषिद्ध (Why Rice is Prohibited on Ekadashi)
शास्त्रों में कहा गया है कि चावल में जल तत्व की प्रधानता होती है, जो आलस्य और प्रमाद को बढ़ाता है. जबकि एकादशी का व्रत संयम, जागरूकता और भक्ति का प्रतीक है. इसलिए इस दिन चावल खाना न केवल धार्मिक रूप से निषिद्ध है, बल्कि यह व्रत की पवित्रता को भी भंग करता है.
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सात्विक आहार ग्रहण करें (Why Rice is Prohibited on Ekadashi)
व्रतधारक भक्त इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करते हैं, तुलसी को जल अर्पित करते हैं और फलाहार या सात्विक आहार ग्रहण करते हैं. मान्यता है कि एकादशी पर चावल त्यागने वाला व्यक्ति जन्म-जन्मांतर के पापों से मुक्त होकर विष्णु लोक की प्राप्ति करता है. यही कारण है कि एकादशी तिथि पर चावल वर्जित कर दिए गए हैं.
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