हिंदू धर्म में हर परंपरा के पीछे गहरा आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्व होता है। ऐसा ही एक नियम है, प्रसाद कभी भी बाएं हाथ से नहीं चढ़ाना और न ही लेना चाहिए। यह केवल आस्था नहीं, बल्कि आत्मसंयम और शुद्धता का प्रतीक भी है।

प्रसाद को ईश्वर की कृपा और आशीर्वाद माना जाता है, जो पूजा-पाठ के बाद भक्तों में बांटा जाता है। इसे लेते और चढ़ाते समय दाएं हाथ का उपयोग करना सम्मान, पवित्रता और श्रद्धा का संकेत होता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, दायां हाथ कर्म, धर्म और शुभ कार्यों का प्रतिनिधित्व करता है, जबकि बायां हाथ आमतौर पर निजी, शारीरिक और सांसारिक कार्यों के लिए प्रयोग में लाया जाता है, जैसे भोजन करना, वस्त्र संभालना आदि। इसी कारण बाएं हाथ से प्रसाद लेना या देना अशुद्ध माना गया है।

आचार्य और पुराणों के अनुसार, जब हम भगवान को कुछ अर्पित करते हैं या उनका प्रसाद स्वीकार करते हैं, तो वह क्रिया श्रद्धा और समर्पण भाव से पूर्ण होनी चाहिए। दाएं हाथ से प्रसाद चढ़ाना या लेना इस भावना का सम्मान है। यह कर्मों की शुद्धता और सकारात्मक ऊर्जा को बनाए रखता है, जिससे जीवन में शुभ फल और मानसिक संतुलन बना रहता है। इसलिए अगली बार जब आप मंदिर जाएं या किसी धार्मिक आयोजन में भाग लें, तो इस छोटी सी बात का ध्यान रखें प्रसाद हमेशा दाएं हाथ से लें और चढ़ाएं। यह न केवल धार्मिक नियम का पालन है, बल्कि ईश्वर के प्रति आपकी श्रद्धा का प्रतीक भी है।