दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को आखिरकार जमानत मिल गई है. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें ED और CBI केस में शुक्रवार को जमानत दे दी. सिसोदिया 17 महीनों बाद जेल से बाहर निकलेंगे. सुप्रीम कोर्ट ने ट्रायल में देरी की वजह से उन्हें राहत दी है. आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता को पिछले साल 26 फरवरी को गिरफ्तार किया गया था. वह तब से ही तिहाड़ जेल में बंद थे. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद ये संभावना है कि मनीष सिसोदिया आज ही जेल से बाहर आ सकते हैं.

जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच ने सिसोदिया को 10 लाख रुपए के निजी मुचलके पर जमानत दी है. बेंच ने कहा, ‘अपील स्वीकार की जाती है. दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश को रद्द किया जाता है. उन्हें ED और CBI दोनों केसों में जमानत देते हुए जस्टिस बीआर गवई और केवी विश्वनाथन ने जांच एजेंसियों की अपील को खारिज कर दिया कि बेल के लिए आप नेता को ट्रायल कोर्ट जाना चाहिए.

बेंच ने कहा, ‘याचिकाकर्ता को ट्रायल कोर्ट और फिर हाई कोर्ट जाने को कहने का मतलब होगा कि वह सांप सीढी का खेल खेलें.’ कोर्ट ने ट्रायल में देरी की वजह से सिसोदिया को जमानत देने का आदेश पारित किया. कोर्ट ने कहा, ‘एक नागरिक को एक जगह से दूसरे जगह भागते रहने को नहीं कहा जा सकता है क्योंकि यह संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत तेजी से ट्रायल की संवैधानिक गारंटी का उल्लंघन है.’ कोर्ट ने आदेश दिया कि सिसोदिया को 10 लाख रुपए के बेल बॉन्ड पर रिहा किया जाए. कोर्ट ने यह भी कहा कि सिसोदिया को अपना पासपोर्ट जमा कराना होगा.

दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री को जमानत के दौरान सप्ताह में 2 बार थाने में हाजिरी लगानी होगी. उन्हें सोमवार और गुरुवार को थाने में जाना होगा. अदालत ने कहा कि वह गवाहों और सबूतों से छेड़छाड़ की कोशिश नहीं करेंगे. ED ने सुप्रीम कोर्ट से यह भी गुजारिश की कि उनके सचिवालय और CM आवास जाने पर रोक लगा दी जाए, जिस तरह केजरीवाल को अंतरिम जमानत देते हुए CM ऑफिस जाने पर रोक लगाई गई है. हालांकि, कोर्ट ने ED की इस मांग को स्वीकार नहीं किया.

दिल्ली शराब घोटाला मामला क्या है?

ED अगस्त 2022 में CBI द्वारा दर्ज मामले के संबंध में PMLA के तहत मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले की जांच कर रही है. ED अब तक इस मामले में 15 से अधिक लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है. पिछले साल जनवरी में, एजेंसी ने एक पूरक चार्जशीट दायर की और दावा किया कि आप के शीर्ष नेताओं ने खुद के लिए अवैध धन जुटाने के उद्देश्य से आबकारी नीति बनाई थी. ED ने आरोप लगाया कि साजिश निजी संस्थाओं को थोक व्यापार देने और उसी से 6% रिश्वत प्राप्त करने के लिए 12 फीसदी मार्जिन तय करने की थी.

प्रवर्तन निदेशालय ने इस मामले में 7 पूरक आरोपपत्र दायर कर चुकी है. जुलाई में दायर सातवें पूरक आरोपपत्र में ED ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को ‘सरगना और मुख्य साजिशकर्ता’ और आम आदमी पार्टी को अपराध की आय का प्रमुख लाभार्थी बताया था. विशेष न्यायाधीश कावेरी बावेजा की अदालत ने 208 पन्नों की चार्जशीट पर संज्ञान लिया था, जिसमें केजरीवाल और आप को आरोपी बनाया गया.

ED ने आरोपपत्र में कहा कि CM ने 2022 में गोवा में आप के चुनाव प्रचार में अपराध से हुई आय का इस्तेमाल जानबूझकर किया और कथित घोटाले में पूरी साजिश में खुद शामिल थे. आरोपपत्र में कथित तौर पर कुल 1,100 करोड़ रुपये में से 100 करोड़ रुपये का जिक्र है. आरोपपत्र में दावा किया गया है कि केजरीवाल ने शराब बिक्री ठेके के लिए साउथ ग्रुप के सदस्यों से 100 करोड़ रुपये की रिश्वत मांगी थी, जिसमें से 45 करोड़ रुपये गोवा चुनावों पर खर्च किए गए.

दिल्ली शराब नीति अनियमितता मामले की जांच कर रही दोनों एजेंसियां CBI और ED अब तक कई लोगों की गिरफ्तारी कर चुकी हैं. गिरफ्तार होने वालों में अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया, संजय सिंह, विजय नायर, के. कविता, मगुंटा श्रीनिवास रेड्डी, राघव मंगुटा, समीर महेंद्रू, अरुण रामचंद्रन, राजेश जोशी, गोरन्तला बुचिबाबू, अमित अरोड़ा, गौतम मल्होत्रा, अरुण पिल्लई, बेनॉय बाबू ,पी. सरथ चंद्र रेड्डी, अरबिंदो फार्मा के पूर्णकालिक निदेशक और प्रमोटर, व्यवसायी अमनदीप धाल और व्यवसायी अभिषेक बोइनपल्ली शामिल हैं. इसमें से संजय सिंह, मनीष सिसोदिया, अरविंद केजरीवाल समेत कई आरोपियों को जमानत मिल गई है जबकि कुछ सरकारी गवाह भी बन गए हैं. अरविंद केजरीवाल को 10 मई को ED मामले में अंतरिम जमानत मिली थी लेकिन वो अभी CBI की हिरासत में है.

ED ने मनीष सिसोदिया को क्यों गिरफ्तार किया था?

सिसोदिया शराब विक्रेताओं को रिश्वत देने के आरोपों का सामना कर रहे थे. ED द्वारा लगाए गए आरोप धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 के तहत हैं. इसके अलावा, CBI ने सिसोदिया पर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 के तहत रिश्वत लेने का आरोप लगाया था.

मार्च 2023 में सिसोदिया की गिरफ्तारी से पहले ED ने उनसे तिहाड़ जेल में 2 दिन तक पूछताछ की थी. इसके बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया. ED ने राउज एवेन्यू कोर्ट से सिसोदिया से पूछताछ करने की इजाजत मांगी थी. पूछताछ के दौरान अधिकारियों ने सिसोदिया से शराब नीति में बदलाव के कारणों के बारे में पूछा. साथ ही उनसे इस मामले में ली गई रिश्वत के बारे में भी सवाल किए गए.

CBI ने सिसोदिया की गिरफ्तारी क्यों की थी?

दिल्ली शराब घोटाला मामले में CBI ने 26 फरवरी, 2023 को मनीष सिसोदिया को गिरफ्तार किया था. उस वक्त CBI ने कहा था कि सिसोदिया पर लगे आरोप पर पूछे गए सवालों का जवाब नहीं देने और पूछताछ में सहयोग नहीं करने पर गिरफ्तार किया गया. पूछताछ के दौरान CBI ने सिसोदिया को कई सबूत दिखाए, इसमें डिजिटल सबूत और दस्तावेज भी शामिल थे. सिसोदिया इन सबूतों के सामने कोई जवाब नहीं दे पाए थे.

दोनों मामलों में क्या अंतर है?

ED और CBI दिल्ली सरकार की नई शराब नीति में कथित घोटाले की अलग-अलग जांच कर रही हैं. ED नीति को बनाने और लागू करने में मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों की जांच कर रही है. वहीं, CBI की जांच नीति बनाते समय हुईं कथित अनियमितताओं पर केंद्रित है.