Why Weddings Are Not Performed In Sawan: सावन का महीना भगवान शिव को समर्पित है और पूरे भारतवर्ष में इसे भक्ति, व्रत और संयम का प्रतीक माना जाता है. लेकिन जैसे ही विवाह की बात आती है, यह प्रश्न बार-बार उठता है. क्या सावन में शादी करना वर्जित या अशुभ है? क्या यह केवल एक परंपरा है या इसके पीछे कोई शास्त्रीय कारण भी है?
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Why Weddings Are Not Performed In Sawan
शास्त्रों की दृष्टि में इस प्रश्न का हल (Why Weddings Are Not Performed In Sawan)
गृहस्थाश्रम से विरक्ति का समय: सावन मास को तपस्या और शिव की उपासना का काल माना गया है. इस समय संयम, ब्रह्मचर्य और एकाग्रता को प्राथमिकता दी जाती है. विवाह जैसे भोगप्रधान संस्कार को इस मास में वर्जित कहा गया है.
देव शयन काल: आषाढ़ शुक्ल एकादशी से देवशयनी एकादशी तक भगवान विष्णु योगनिद्रा में चले जाते हैं, जो चार महीने तक चलता है. चातुर्मास में कोई भी शुभ कार्य, विशेष रूप से विवाह, शास्त्रों में वर्जित माने गए हैं.
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नक्षत्र और मुहूर्त का अभाव: सावन के महीने में अधिकांश शुभ नक्षत्र और विवाह मुहूर्त उपलब्ध नहीं होते, इसलिए पंचांग अनुसार भी यह काल उपयुक्त नहीं है.
लेकिन अपवाद भी हैं: शिव-पार्वती विवाह कथा सावन से जुड़ी है, लेकिन यह एक दैवीय घटना थी, न कि सामान्य गृहस्थ विवाह. कुछ परंपराओं में गंधर्व विवाह या विशेष परिस्थितियों में सीमित विवाह आयोजन किए जाते हैं, पर ये अपवाद होते हैं.
इसलिए अंत में यह कहा जा सकता है कि सावन में विवाह करना शास्त्रों के अनुसार वर्जित है, क्योंकि यह समय भक्ति, ध्यान और आत्मिक साधना का होता है.
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