रायपुर। अक्सर हमने लोंगो को कहते सुना है कि महिलाओं के पेट में कोई बात नहीं पचती. कहने का मतलब है कि कोई भी महिला अपने पास कोई राज़ छिपा कर नहीं रख सकती. सबसे ज्यादा खतरा तो तब होता है जब आप उन्हें मना कर दें कि किसी को भी मत बताना. कभी आपने सोचा कि ऐसा क्यों होता है. यहां हम हिन्दू धर्म पुराण के अनुसार नारी शक्ति को मिले उस श्राप का जिक्र कर रहे हैं, जिसका उल्लेख महाभारत में मिलता है.

अपनी माता कुन्ती की एक भूल के कारण धर्मराज युधिष्ठिर ने समस्त नारी जाति को एक श्राप दे दिया था. वो श्राप ये था कि महिलाएं कभी कोई बात अधिक समय तक गुप्त नहीं रख पायेंगी. इस श्राप से जुड़ा प्रसंग महर्षि वेदव्यास द्वारा लिखी गई महाभारत में मिलता है. महाभारत के युद्ध में जब अर्जुन द्वारा अंगराज कर्ण का वध कर दिया गया, तब पाण्डवों की माता कुन्ती कर्ण की मृत्यु का विलाप करने पहुंची. माता को कर्ण के लिए आंसू बहाते देख युधिष्ठिर ने कुन्ती से प्रश्न किया कि आप हमारे शत्रु की मृत्यु पर विलाप क्यों कर रही हैं?

तब कुन्ती ने अपने अंदर लंबे समय तक छिपाये गये राज को सबके सामने उजागर कर दिया. ये तुम्हारे शत्रु नहीं बल्कि ज्येष्ठ भ्राता हैं, कर्ण के जन्म की पूरी कहानी सुनाई. जिसे सुनकर युधिष्ठिर अत्यंत दुखी हुए और माता कुन्ती से कहा कि आपने इतनी बड़ी बात छिपाकर हमें अपने ज्येष्ठ भ्राता का हत्यारा बना दिया. जिस पर युधिष्ठिर ने क्रोध में आकर समस्त नारी जाति को श्राप देते हुए कहा- मैं आज समस्त नारी जाति को श्राप देता हूं कि वे अब चाहकर भी कोई बात अपने ह्रदय में छिपाकर नहीं रख पायेंगी.