मनोज यादव, कोरबा. पति की मौत के बाद परिवार को जब कोई जिम्मेदार सदस्य सामने नहीं आया तो पत्नी ने तमाम रुढ़ियों को दरकिनार करते हुए अपनी दो नाबालिग बेटियों के साथ मुखाग्नि देकर अंतिम संस्कार को पूरा किया. इस मंजर को जिसने भी देखा वह अपने आंखों में आंसू को नहीं रोक पाया.
सफेद साड़ी में लिपटी पिंकी भारत के पति ओम प्रकाश की एक हादसे में जब मौत हुई तो परिवार का कोई सदस्य मुखाग्नि देने सामने नहीं आया. पति को खोने के गम में डूबी पत्नी की भी हिम्मत शुरुआत में जवाब दे रही थी, लेकिन धर्म का पालन करना था. लिहाजा, उसने यह कठिन निर्णय लिया कि वही अपने पति को मुखाग्नि देगी. संवेदनशीलता की पराकाष्ठा थी कि लकड़ियों के बीच लेटे पति को पत्नी आग के हवाले करें अंतिम संस्कार करवाने वाले पंडित को भी इसका इल्म नहीं था.
भाइयो ने व्यस्तता का हवाला देकर झाड़ा पल्ला
मूलतः बांकी मोंगरा के निवासी ओमप्रकाश शहर के अमरैयापारा में रहता था. खाना बनाने के लिए सिगड़ी में केरोसिन डालते समय तेज आग की लपटों से झुलस गया. उपचार के लिए उसे बिलासपुर में भर्ती कराया गया, लेकिन उसकी जान नहीं बचाई जा सकी. ओमप्रकाश के निधन की सूचना उसके भाइयों को दी गई, लेकिन उन्होंने व्यस्तता का हवाला देते हुए अंतिम संस्कार में शामिल नहीं हुए. किसी को न आता देख आखिरकार पत्नी ने ही अपनी बेटियों के साथ अंतिम संस्कार का बीड़ा उठाया.
लोग रोक नहीं पाए अपने आंसू
आज तक विपरित परिस्थितियों में बेटियों के पिता को मुखाग्नि देते हुए सुना है, देखा है, लेकिन शायद ऐसा पहली बार हुआ, जब पत्नी ने अपने पति को मुखाग्नि दी हो. इस दौरान उनकी दोनों बेटियां तो रो ही रहीं थी, साथ-साथ अंतिम संस्कार में शामिल लोग भी अपना आंसू नहीं रोक पाए.