बिलासपुर। पत्नी अपने पति को मोटा और भद्दा बताते हुए दस सालों से शारीरिक संबंध बनाने से इंकार कर रही थी. पत्नी के व्यवहार से व्यथित पति ने हाईकोर्ट में तलाक के लिए अर्जी दाखिल की. डिवीजन बेंच ने मामले की सुनवाई करते हुए पत्नी के व्यवहार को क्रूरता करार देते हुए तलाक की अर्जी स्वीकार कर ली.
बात हो रही है बिलासपुर में रहने वाले एन मिश्रा की, जिनकी शादी 25 नवंबर 2007 को हुई थी. हाईकोर्ट में दायर वाद में उन्होंने बताया कि शादी के कुछ माह के बाद 2008 से 2015 के बीच बहुत कम समय के लिए ससुराल में रही. इस बीच पति व ससुराल वालों को बिना बताए साल 2011 में बेमेतरा में शिक्षाकर्मी की नौकरी ज्वॉइन कर ली, यही नहीं बतौर नॉमिनी उसने पति की बजाए मायके वालों को बनाया. इसके साथ ही वह पति पर घर छोड़कर बेमेतरा में रहने के लिए दबाव बनाने लगी.
परेशान पति ने 13 दिसंबर 2017 को फैमिली कोर्ट में तलाक के लिए आवेदन प्रस्तुत किया, लेकिन फैमिली कोर्ट ने आवेदन को खारिज कर दिया. इस फैसले के खिलाफ एन मिश्रा ने हाईकोर्ट में अपील की. सुनवाई के दौरान पत्नी ने अपने बचाव में तर्क प्रस्तुत किया. कोर्ट ने पाया कि पत्नी पति को मोटा-भद्दा कहने के साथ उसे नापंसद किया करती ही. यही नहीं वर्ष 2010 से पति-पत्नी के बीच शारीरिक संबंध नहीं था.
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पति-पत्नी के बयानों के आधार पर जस्टिस पी सैम कोशी व जस्टिस पीपी साहू की डिवीजन बेंच ने अपने फैसले में कहा है कि अगस्त 2010 से पति-पत्नी के रूप में दोनों के बीच कोई शरीरिक संबंध नहीं है. पति या पत्नी के साथ शारीरिक संबंध से इनकार करना क्रूरता के बराबर है. इस मामले में पत्नी ने पति के साथ क्रूरता का व्यवहार किया है. इस लिहाज से फैमिली कोर्ट के आदेश को खारिज करते हुए पति के तलाक की अर्जी को स्वीकार कर लिया.
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