संजय विश्वकर्मा, उमरिया। वैसे तो कहा भी जाता है कि जब दो का विवाद चल रहा हो तो किसी तीसरे को एंट्री नहीं करनी चाहिए। कभी कभी बीच बचाव करने वाले को भी दो (दो बाघिनों) के बीच विवाद में लेने के देने पड़ जाते हैं।

वाइल्ड लाइफ के इतिहास में एक ऐसा ही मामला बांधवगढ़ टाइगर रिज़र्व के पतौर रेंज के बगैहा बीट में घटित हुआ, जहां दो बाघिनों के बीच लेपर्ड को एंट्री लेना भारी पड़ गया दरअसल वर्चस्व की लड़ाई में दो बाघिनों के बीच हो रहे टकराव को लेकर वन अमला हाई अलर्ट में था और विभागीय अधिकारियों ने दोनों बाघिनों के बीच हो रहे टकराव पर नजर बनाए हुए थे।

दोनों बाघिनों के बीच चल रहे संघर्ष के बीच अचानक लेपर्ड की एंट्री हुई और दोनों बाघिनों को लेपर्ड के द्वारा किया गया हस्तक्षेप भाया नहीं। दोनों अपने विवाद को भूलकर लेपर्ड के पीछे पड़ गईं। अपनी जान बचाकर लगभग 7 घण्टे तक लेपर्ड एक पेड़ से दूसरे पेड़ में घूमता रहा। भूख प्यास से व्याकुल होकर एकाध बार गिरने से भी बचा। पर खून की प्यासी दोनों बाघिनों ने आपसी विवाद को भूलकर 7 घण्टे तक पेड़ के नीचे खड़े होकर लेपर्ड के उतरने का इंतजार करती रहीं।

और अंततः जब वन अमले ने घायल बाघिन को ट्रेंकुलाइज कर इलाज किया तब जाकर उसने लेपर्ड का पीछा छोड़ा। वहीं दूसरी बाघिन के एक दो पल के लिए यहां वहां होता देख लेपर्ड अपनी जान बचाकर भागता हुआ नजर आया।

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