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वन विभाग के उच्च अधिकारियों के साथ पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने समीक्षा बैठक की. इस दौरान उन्होंने कहा कि दिल्ली के अंदर प्रदूषण को कम करने में तमाम निगरानी, कार्रवाई के साथ वृक्षारोपण का भी महत्वपूर्ण रोल रहा है. पौधों के द्वारा पर्यावरण को बेहतर करने के लिए नेचुरल बैलेंस सिस्टम विकसित होता है, उसके लिए सरकार पिछले 7 साल से काम कर रही है. जिसमें इस साल 33 लाख पौधे लगाने का लक्ष्य रखा हुआ है.
उन्होंने कहा कि दिल्ली के अंदर सरकार बनने के बाद अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में प्रदूषण के खिलाफ अभियान शुरू हुआ। 2015-16 में 16.51 लाख, 2016-17 में 24.75, लाख, 2017-18 में 16 लाख, 2018-19 में 28 लाख, 2019-20 में 28.95 हजार पौधे लगाए थे. केजरीवाल सरकार के पिछले पांच साल के कार्यकाल में 1.15 करोड़ पौधे दिल्ली के अंदर लगाए गए थे. दूसरे कार्यकाल में पिछले साल 32.40 लाख और इस साल 22 लाख पौधे सरकार की तरफ से लगाए जा चुके हैं. पिछले 7 साल में अरविंद केजरीवाल सरकार द्वारा 1.70 करोड़ पौधे लगाए जा चुके हैं.
गोपाल राय ने कहा कि फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया के अनुसार दिल्ली मैदानी राज्यों की श्रेणी में आता है. पहाड़ी राज्यों में 60 फीसदी ग्रीन बेल्ट होना चाहिए, जबकि मैदानी इलाकों में उस राज्य के कुल क्षेत्रफल का 20 फ़ीसदी की ग्रीन क्षेत्र होना चाहिए. मैदानी राज्य के मापदंड के हिसाब से दिल्ली ने बीस फीसदी के लक्ष्य को हासिल कर लिया है, बल्कि उससे ज्यादा ग्रीन कवर विकसित कर चुके हैं.
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उन्होंने कहा कि 2019 की फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली के अंदर 21.88 ग्रीन कवर क्षेत्र विकसित हो चुका है. दिल्ली का कुल क्षेत्रफल की 1483 वर्ग किलोमीटर है. इसमें से 2019 में ग्रीन कवर 325 वर्ग किलोमीटर में विकसित हो चुका है. ग्रीन क्षेत्र के विकास क्रम को देखेंगे तो 2015 में ग्रीन कवर 299 वर्ग किलोमीटर था जो कि करीब 20.2 फ़ीसदी था. 2017 में यह बढ़कर 305 वर्ग किलोमीटर हो गया, जो कि 20.5 9 फ़ीसदी था. इसके बाद 2019 में यह बढ़कर 325 वर्ग किलोमीटर हुआ है, जो कि 21.88 फ़ीसदी है.
गोपाल राय ने कहा कि 2019 के बाद से ग्रीन कवर बढ़ाने का काम हुआ है. ऐसे में 22 फ़ीसदी से भी ज्यादा ग्रीन कवर दिल्ली में हो चुका है. दिल्ली में 2015 में जो ग्रीन कवर था उसमें अभी तक करीब ढाई हजार हेक्टेयर ग्रीन कवर की बढ़ोतरी हुई है. इसकी रिपोर्ट को लेकर हमने विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक की है.
उन्होंने कहा कि सभी विभागों का अलग-अलग एजेंसियों से थर्ड पार्टी ऑडिट का काम चल रहा है. हमने लक्ष्य रखा है कि 1 महीने के अंदर इन सभी की प्राइमरी रिपोर्ट विभाग सौंपे. उससे अंदाजा लगेगा कि जो पौधे लगाए गए उनमें से कितने फ़ीसदी, किस क्षेत्र में जीवित हैं. अभी वन विभाग की फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया ने एक प्राइमरी रिपोर्ट भेजी है, उसमें किसी भी एरिया में 90 फ़ीसदी सक्सेस रेट है और किसी एरिया में 65 फीसदी है. इसके अलावा किसी क्षेत्र में पचास से भी कम सर्वाइवल रेट है. इसकी अंतिम रिपोर्ट 1 महीने के अंदर भेजेंगे, जिससे अंदाजा लगेगा कि किस क्षेत्र में ज्यादा वृक्षारोपण करने से सर्वाइवल रेट बेहतर हो सकता है.
पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा कि ग्रीन बेल्ट के साथ-साथ जो वन्यजीव हैं, उनका नेचर के बैलेंस में काफी योगदान होता है. इंसान जो प्रदूषण पैदा करता है, उसमें से बहुत सारे प्रदूषण को पौधे ऑब्जर्व कर लेते हैं. बहुत सारे प्रदूषण को वन्यजीव की चेन ऑब्जर्व करती है. प्रकृति ने जो सिस्टम बनाया, वो धीरे-धीरे टूट रहा है. प्राकृतिक संतुलन बना रहे, इसलिए दिल्ली वन विभाग की तरफ से 2 अक्टूबर से 8 अक्टूबर तक 1 हफ्ते का वन्य जीव संरक्षण जागरूकता अभियान चलाया जाएगा. जिसके तहत 2 अक्टूबर से 8 अक्टूबर तक असोला भाटी वाइल्ड लाइफ सेंचुरी में अलग-अलग कार्यक्रम आयोजित होंगे, ताकि लोगों को संवेदनशील बनाया जा सके.
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