रणधीर परमार, खजुराहो (छतरपुर)। फिल्मी गानों में आपने सुना होगा, ‘साथ जिएंगे, साथ मरेंगे’ शायद यह गाना असल जिंदगी में हमेशा सच न हो, लेकिन छतरपुर के नौगांव क्षेत्र में यह वाकया सच साबित हुआ है। नौगांव के भदेसर गांव में सोमवार को एक वृद्ध की मृत्यु के बाद, लगभग 30 मिनट के अंदर उसकी पत्नी ने भी अपने प्राण त्याग दिए। इस घटना से पूरे गांव में शोक की लहर दौड़ गई। परिवार ने दोनों का एक ही चिता पर अंतिम संस्कार किया।

भदेसर गांव के 85 वर्षीय ततूरा राजपूत अपनी 80 वर्षीय पत्नी जमनी बाई के साथ गांव में अपना जीवन बिता रहे थे। सोमवार की दोपहर करीब 2 बजे ततूरा राजपूत ने अपनी अंतिम सांस ली। उनकी मृत्यु के कुछ ही देर बाद, जन्म से पैर से दिव्यांग पत्नी जमनी बाई ने लकड़ी के सहारे अपने पति को जगाने का प्रयास किया। लेकिन, ततूरा राजपूत की मृत्यु हो चुकी थी। पति की मृत्यु का अहसास होते ही जमनी बाई गश खाकर जल रही गुरसी (अग्निकुंड) पर गिर पड़ीं। गुरसी की आग से वह कुछ ही जली थीं कि उनके नाती चंचल ने उन्हें तुरंत उठाया और बाकी परिवार वालों को बुलाया। लेकिन, इसी दौरान जमनी बाई ने भी दम तोड़ दिया।

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नाती चंचल राजपूत ने बताया कि, दादी ने जैसे ही दादाजी को देखा, उन्हें कुछ अजीब सा महसूस हुआ। वह गुरसी पर गिर गईं, और मैंने उन्हें उठाया लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। परिजनों ने बताया कि दोनों ने हमेशा साथ रहने की कसम खाई थी और आज उनकी मृत्यु भी एक साथ हुई। हमने दोनों का एक ही चिता पर अंतिम संस्कार किया।

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