राकेश चतुर्वेदी,भोपाल। मध्यप्रदेश पंचायत चुनाव में ओबीसी आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने 15 दिन के भीतर बिना अरक्षण पंचायत चुनाव और नगर पालिका के चुनाव की अधिसूचना जारी करने सरकार को निर्देश दिए हैं. अब राज्य निर्वाचन आयोग भी 15 दिन के भीतर ही मध्यप्रदेश में चुनाव की तारीखों की घोषणा करेगी. सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर विचार नहीं पालन किया जाता है. क्या मध्य प्रदेश के पंचायत और निकाय के त्रिस्तरीय चुनाव ओबीसी आरक्षण के बिना ही होंगे ?
निर्वाचन आयुक्त बसंत प्रताप सिंह का कहना है कि राज्य निर्वाचन आयोग चुनाव कराने के लिए पूरी तरह तैयार है. 15 दिन के भीतर मध्यप्रदेश में चुनाव की घोषणा होगी. नगरीय निकायों में आज की स्थिति में चुनाव हो सकते हैं. पंचायतों का परिसीमन हो चुका है. आरक्षण बाकी है. 15 दिन में नहीं हुआ आरक्षण, तो पुराने परिसीमन और आरक्षण से चुनाव होंगे.
निर्वाचन आयुक्त बसंत प्रताप सिंह ने ये भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर विचार नहीं पालन किया जाता है. नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव आज की स्थिति में कराएं जाएंगे. पंचायतों का नया परिसीमन हुआ है और आरक्षण कराने के लिए राज्य सरकार को पत्र लिखेंगे. 15 दिन में आरक्षण नहीं होता है, तो पुराने परिसीमन के हिसाब से चुनाव कराए जाएंगे.
क्या अब OBC आरक्षण के बगैर पंचायत-निकाय चुनाव होंगे ?
शिवराज सरकार के रिव्यू पिटीशन दाखिल करने वाले सवाल पर उन्होंने कहा कि ये सरकार को देखना है. सुप्रीम कोर्ट जो फैसला देगा, उस हिसाब से काम करेंगे. हमारा काम कोर्ट का पालन करना है. सुप्रीम के फैसले पर निर्वाचन आयोग की रणनीति तैयार है. क्या अब OBC आरक्षण के बगैर पंचायत-निकाय चुनाव होंगे ? क्या 15 दिन में अधिसूचना जारी करेगा चुनाव आयोग? क्या रिव्यू पिटीशन से पहले पंचायत-निकाय चुनाव होंगे ? अब ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा.
35% आरक्षण की थी मांग
इस मामले में मध्य प्रदेश ओबीसी आयोग की ओर से जारी की गई रिपोर्ट में मध्य प्रदेश में ओबीसी की आबादी को 48% बताया गया था, इसके साथ ही ओबीसी आयोग की रिपोर्ट में प्रदेश के पंचायत चुनाव में ओबीसी को 35% आरक्षण देने की अनुशंसा की गई थी. जिसे सुप्रीम कोर्ट ने नाकाफी बताते हुए खारिज कर दिया.
रिपोर्ट पर सुप्रीम कोर्ट पहले भी उठा चुका है सवाल
सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश ओबीसी कमिशन आयोग की रिपोर्ट पर इससे पहले की हुई सुनवाई में सवाल उठा चुका है. सुप्रीम कोर्ट ने आयोग को फटकार लगाते हुए कहा था कि आप की रिपोर्ट में काफी हीला हवाली दिख रही है. जिस पर ओबीसी कमिशन के अधिकारियों ने सुप्रीम कोर्ट से रिपोर्ट को दुरुस्त करने के लिए 25 मई तक का समय मांगा था. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उनकी अपील को खारिज करते हुए कहा कि जब अब तक आपने ठीक से रिपोर्ट तैयार नहीं की तो फिर एक हफ्ते में इसमें ऐसा क्या चमत्कार कर देंगे.
नहीं सुनी गई सॉलीसीटर जनरल की दलील
सुनवाई के दौरान सॉलीसीटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को कन्वेंस करने की कोशिश जरूर की कि सॉलिसीटर जनरल ने 1 हफ्ते के अंदर वह भी सिंपल टेस्ट रिपोर्ट कर देंगे. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने सारी दलीलों को सुनने से इनकार करते हुए यह फैसला दे दिया कि मध्य प्रदेश में चुनाव ओबीसी रिजर्वेशन के बिना ही होंगे.
सरकार के सामने क्या रास्ता बचता है. ?
हालांकि इस मामले में मध्यप्रदेश सरकार रिव्यू पिटीशन दाखिल करने की बात कह रही है. लेकिन कानून के जानकारों का कहना है कि इस मामले में सरकार के पास इसलिए भी कोई रास्त नहीं बचता, क्योंकि सरकार को कोर्ट की तरफ से पर्याप्त समय दिया गया था. उसके बाबजूद सरकार ने पूरी तैयारी के साथ अपना पक्ष नहीं रखा. कानून के जानकर ब्रमाहनंद पांडे बताते है कि इस फ़ैसले में ना तो कोई ग्रामीटीकल मिस्टेक है. लिहाजा इस बेस पर भी सरकार के पास रिव्यू पिटीशन का आधार नहीं बनता. एक और बात जो सरकार के रिव्यू पिटीशन दाखिल करने की बात को कमजोर करती है वो है कि सुप्रीम कोर्ट ने सभी पक्षों को सुना सभी अपनी अपनी बात रखने का पर्याप्त समय दिया.
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