नई दिल्ली। मोदी सरकार की फिलिस्तीन नीति का विरोध करने पर एनसीपी के सुप्रीमो शरद पवार के खिलाफ सरकार के मंत्रियों के साथ-साथ भाजपा नेता भी खड़े हो गए हैं. असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिश्वा सरमा ने कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि मुझे लगता है कि शरद पवार सुप्रिया मैडम को हमास के लिए लड़ने भेजेंगे.
इजराइल पर 3 अक्टूबर को आतंकी संगठन हमास के हमले ने न केवल भारत बल्कि दुनिया के तमाम देशों के मध्य-पूर्व देशों को लेकर नीतियों का फिर से आंकलन करने पर मजबूर कर दिया है. भारत में एक ओर सरकार इजराइल के साथ खड़ी है, तो वहीं दूसरी ओर विपक्ष फिलिस्तीन के साथ खड़ा है. ऐसे में एनसीपी के सुप्रीमो शरद पवार के बयान ने सरकार और विपक्ष के बीच बन चुकी वैचारिक खाई को और गहरा कर दिया है.
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दरअसल, शरद पवार पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा था कि ”यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि पहली बार हमारे प्रधानमंत्री इजराइल के साथ खड़े हुए.” उन्होंने कहा कि वह जगह, जमीन और घर, सब कुछ फिलिस्तीन का था, और बाद में इजरायल ने उस पर कब्जा कर लिया. इजरायल एक बाहरी व्यक्ति है और जमीन मूल रूप से फिलिस्तीन की है. उन्होंने कहा था कि एनसीपी उन लोगों के साथ खड़ी है, जो मूल रूप से इजरायल के रहने वाले हैं.
शरद पवार के बयान पर केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने ट्वीट कर कहा कि यह बहुत परेशान करने वाली बात है, जब शरद पवार जैसे वरिष्ठ नेता इजरायल में आतंकी हमले पर भारत के रुख पर बेतुके बयान देते हैं. दुनिया के किसी भी हिस्से में आतंकवाद के खतरे की सभी रूपों में निंदा की जानी चाहिए.
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केंद्रीय मंत्री ने कहा कि यह अफ़सोस की बात है कि एक व्यक्ति जो भारत का रक्षा मंत्री और कई बार मुख्यमंत्री भी रह चुका है, आतंक से संबंधित मुद्दों पर इतना अनौपचारिक दृष्टिकोण रखता है… इस सड़ी हुई मानसिकता को रोकना होगा. मुझे उम्मीद है कि कम से कम अब तो पवार जी सबसे पहले राष्ट्र के बारे में सोचेंगे.