रायपुर। छत्तीसगढ़ किसान मजदूर महासंघ ने 23 अगस्त को राज्य मंत्रीमंडल द्वारा लिए गए फैसले की कड़ी आलोचना की। महासंघ के नेताओं ने कहा कि प्रदेश में सूखे की स्थिति पर चर्चा करने के नाम पर बहु प्रचारित आज की कैबिनेट बैठक में सूखा राहत की बजाय विपरीत निर्णय लेते हुए राज्य सरकार ने अपना किसान विरोधी रवैया का पुनः प्रदर्शन किया है। प्रदेश के अकालग्रस्त किसानों के लिए राहत के नाम पर सरकार ने किसी तरह की घोषणा नहीं की। एक ओर तो बोनस, सूखा राहत राशि, कर्ज माफी जैसी मांगो को लेकर पिछले 2 महीने से आंदोलनरत किसानों की मांगों पर सरकार विचार करने को भी तैयार नहीं हुई और दूसरी तरफ स्मार्टफोन के नाम पर अपना चुनाव प्रचार करने के लिए 12 सौ करोड़ रुपए बांटने का निर्णय मंत्रिमंडल ने लिया। किसान महासंघ ने प्रदेश सरकार की आलोचना करते हुए चेतावनी दी कि आने वाले समय में जिन किसानों के दम पर यह सरकार बनी है, पीड़ित किसान उसको उखाड़ फेंकेंगे ।
अवर्षा की भयंकर परिस्थितियों में छत्तीसगढ़ किसान मजदूर महासंघ ने भाजपा सरकार से प्रश्न पूछा है कि क्या प्रदेश के किसानों के आत्महत्या के इंतजार कर रही है तभी वे प्रदेश को अकालग्रस्त घोषित करेंगे। महासंघ ने सरकार से सवाल किया कि आखिर छत्तीसगढ़ को सूखाग्रस्त कब घोषित किया जाएगा ? उनका कहना है कि प्रदेश के 20 जिले अकाल की चपेट में आ चुके हैं लेकिन अभी तक राज्य सरकार सिर्फ रिपोर्ट लेने में और चर्चा करने में ही व्यस्त हैं। जबकि अब तक सूखा राहत कार्य प्रारंभ कर दिया जाना चाहिए था ।
महासंघ के नेताओं ने बताया कि प्रदेश के अनेक जिलों में अब किसानों की अपनी फसल पूरी तरीके से चौपट हो गई है और जो थोड़ी बहुत फसल खेतों में बची हुई है उसे वे मवेशियों के खाने के लिए छोड़ना प्रारंभ कर दिया है। यह सिलसिला विगत 8 दिनों से चल रहा है लेकिन राज्य सरकार अभी भी सिर्फ बैठक करने में मशगूल है।
किसान महासंघ की इस बैठक में शामिल हुए किसान नेता द्वारिका साहू, रूपन चन्द्राकर, पप्पू कोसरे, डॉ संकेत ठाकुर, तेजराम विद्रोही, आलोक शुक्ला, कैलाश वर्मा, अनिल सिंह, भानु चन्द्रा, पारस नाथ साहू ने सरकार से मांग की है कि छत्तीसगढ़ को तत्काल सूखाग्रस्त घोषित करते हुए राहत कार्य प्रारम्भ किया जाए।
महासंघ ने मांग की है कि किसानों के चार वर्ष के धान का बोनस के रु 300 प्रति क्विंटल को 15 क्विंटल प्रति एकड़ की दर से रु 4500 प्रति एकड़ तय करते हुए इस वर्ष किसानों को रु 18000 प्रति एकड़ बोनस राशि को सूखा राहत के तहत उपलब्ध कराई जाए। उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि किसानों की मांगे पूरी नहीं हुई तो बोनस बइठका का नया दौर प्रारम्भ कर आंदोलन तेज किया जायेगा।