Bihar News: बिहार में इस साल के अंत में विधानसभा का चुनाव होना है. चुनाव को लेकर सभी दलों ने अपनी तैयारियां तेज कर दी हैं. नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव इस बार महागठबंधन की सरकार बनने का दावा कर रहे हैं. गौरतलब है कि साल 2020 के चुनाव में RJD सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी, लेकिन गठबंधन की रणनीति और सीटों के बंटवारे के कारण सत्ता से चूक गई. अब सवाल उठता है कि क्या 2025 में तेजस्वी का मुख्यमंत्री बनने का सपना साकार होगा?

2020 का चुनाव और RJD का प्रदर्शन

2020 के विधानसभा चुनाव में RJD ने 243 में से 75 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी का तमगा हासिल किया था. लेकिन, राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) ने बहुमत हासिल कर सरकार बनाई और नीतीश कुमार फिर से मुख्यमंत्री बने. RJD के नेतृत्व वाले महागठबंधन को 110 सीटें मिलीं, जो सत्ता के लिए पर्याप्त नहीं थीं. तेजस्वी ने उस समय रोजगार और युवा हितों जैसे मुद्दों को उठाकर खासकर युवाओं में अपनी धमक बढ़ाई थी.

2025 चुनाव में तेजस्वी रणनीति

2025 के चुनाव में तेजस्वी और RJD ने अपनी रणनीति को और पुख्ता किया है. हाल के सर्वेक्षणों में तेजस्वी को मुख्यमंत्री पद के लिए जनता की पहली पसंद बताया जा रहा है. RJD ने तेजस्वी को महागठबंधन का मुख्यमंत्री चेहरा लगभग तय कर लिया है. 5 फरवरी 2025 को नालंदा में लालू प्रसाद यादव ने खुलकर कहा कि तेजस्वी ही अगले मुख्यमंत्री होंगे.

तेजस्वी ने अपने 17 महीने के उपमुख्यमंत्री कार्यकाल (2022-2024) में रोजगार, शिक्षा और सामाजिक न्याय पर फोकस किया, जिसे RJD अब अपने प्रचार का मुख्य हथियार बना रहा है. उनकी “माई-बहिन-मान योजना” के तहत गरीब महिलाओं को हर महीने 2500 रुपये और 200 यूनिट मुफ्त बिजली जैसे वादों ने जनता का ध्यान खींचा है. साथ ही, RJD ने वैश्य और कुशवाहा समुदायों को लुभाने के लिए रणनीतिक कदम उठाए और राष्ट्रीय प्रगति पार्टी का राजद में विलय कराया.

चुनौतियां और NDA का पलटवार

मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठने से पहले तेजस्वी के सामने कई मुश्किलें भी हैं. NDA, जिसमें BJP और JDU शामिल हैं, नीतीश कुमार के नेतृत्व में मजबूती से मैदान में है. BJP ने जातिगत समीकरण साधने के लिए “ऑपरेशन सिंदूर” जैसी रणनीतियां बनाई हैं और नीतीश के प्रति सहानुभूति का कार्ड खेल रही है. JDU-BJP ने साफ कर दिया है कि 2025 में नीतीश ही उनका मुख्यमंत्री चेहरा होंगे.

महागठबंधन में एकजुटता की कमी बनी सिरदर्द

वहीं, महागठबंधन में एकजुटता की कमी भी RJD के लिए सिरदर्द बनी हुई है. कुछ कांग्रेस नेता तेजस्वी को मुख्यमंत्री चेहरा मानने को तैयार नहीं हैं, और JMM जैसे सहयोगी दलों को गठबंधन की बैठकों से दूर रखा जा रहा है. इसके अलावा, तेजस्वी और उनके परिवार पर भ्रष्टाचार व परिवारवाद के आरोप NDA के लिए हमलावर मुद्दे हैं.

जनता का मूड और सर्वे

हालांकि इन सबके बीच तेजस्वी और महागठबंधन के लिए कुछ अच्छी खबरें भी सामने आई हैं. दरअसल हाल के ओपिनियन पोल में महागठबंधन को 44.2% वोट शेयर के साथ 126 सीटें मिलने का अनुमान जताया गया है, जो बहुमत के लिए काफी है. वहीं, NDA को 112 सीटों का अनुमान है. हालांकि, प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी जैसे नए खिलाड़ी समीकरण बिगाड़ सकते हैं, भले ही सर्वे में उन्हें सिर्फ 2.7% वोट और 1 सीट मिलने की बात हो.

2025 तेजस्वी के लिए हो सकता है सुनहरा मौका

2025 का बिहार विधानसभा चुनाव तेजस्वी यादव के लिए सुनहरा मौका हो सकता है, लेकिन NDA की मजबूत रणनीति और गठबंधन में आंतरिक मतभेद उनके रास्ते में रोड़ा बन सकते हैं. तेजस्वी की लोकप्रियता, खासकर युवाओं और महिलाओं में, उन्हें बढ़त दे रही है, लेकिन क्या वह इस मौके को भुना पाएंगे, यह आने वाला समय बताएगा.

2020 विधानसभा चुनाव का परिणाम

बता दें कि साल 2020 में हुए विधानसभा चुनाव में 243 सीट में से एनडीए को 126 और महागठबंधन को 110 सीटें मिली थी. एनडीए में बीजेपी 74, जदयू 43, हम 4, वीआईपी मुकेश सहनी 4 और निर्दलीय को 1 सीट पर जीत मिली थी. वहीं, महागठबंधन की बात करें तो राजद 75, कांग्रेस 19, और लेफ्ट को 16 सीट पर जीत मिली थी. इसके अलावे एआईएमआईएम 5, एलजेपी 1 और बीएसपी को 1 सीट पर जीत मिली थी.

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