एक सार्वजनिक सड़क के निर्माण के लिए स्थानीय निवासियों को अदालत का दरवाज़ा खटखटाना पड़ा, जिसे हाईकोर्ट ने गंभीरता से लिया है। कोर्ट ने सरकारी महकमों के रवैये पर कड़ी नाराज़गी जताते हुए कहा कि यह बेहद चिंताजनक है कि अब सड़क बनवाने या निर्माण में घटिया सामग्री के इस्तेमाल को रोकने के लिए भी नागरिकों को अदालत की शरण लेनी पड़ रही है। हाईकोर्ट ने साफ कहा कि बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराना सरकार की जिम्मेदारी है, न कि जनता को इसके लिए कानूनी लड़ाई लड़ने पर मजबूर करना।

कोर्ट ने संबंधित विभागों और अधिकारियों से पूछा है कि उनके खिलाफ अवमानना की कार्रवाई क्यों न की जाए। मुख्य न्यायाधीश देवेन्द्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने कहा कि इस मुद्दे पर अदालत पहले ही विभागों को दो बार स्पष्ट आदेश जारी कर चुकी है। पीठ ने बताया कि पहले स्थानीय निवासियों की याचिका पर सड़क निर्माण के निर्देश दिए गए थे। इसके बाद सड़क निर्माण के दौरान जांच में घटिया सामग्री के इस्तेमाल का खुलासा होने पर दूसरी बार भी आदेश जारी किए गए। बावजूद इसके, विभागों और अधिकारियों की ओर से अब तक अनुपालन रिपोर्ट दाखिल नहीं की गई है, जो गंभीर लापरवाही को दर्शाता है।

नोटिस जारी कर किया जवाब तलब

पीठ ने कहा कि इस मामले में प्रतिवादी दिल्ली सरकार और दिल्ली नगर निगम के संबंधित अधिकारियों के खिलाफ अवमानना का मामला बनता है। हालांकि, अवमानना की कार्रवाई शुरू करने से पहले उन्हें अपना पक्ष रखने का अवसर दिया जा रहा है। अदालत ने इस संबंध में नोटिस जारी करते हुए संबंधित विभागों और अधिकारियों को 22 जनवरी 2026 से पहले अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।

इस मामले में कोटला मुबारकपुर के निवासियों की ओर से हाईकोर्ट के समक्ष टूटी हुई सड़क का मुद्दा उठाया गया था। हाईकोर्ट ने वर्ष 2023 में इस सड़क के निर्माण के आदेश दिए थे। सड़क का निर्माण नगर निगम को करना था, लेकिन कार्य दिल्ली सरकार के सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण विभाग ने शुरू किया। इसी दौरान स्थानीय निवासियों की ओर से मनजीत सिंह चुघ ने सड़क निर्माण में घटिया सामग्री के इस्तेमाल का आरोप लगाया। इंजीनियरों द्वारा की गई जांच में यह आरोप सही पाया गया और पुष्टि हुई कि सड़क निर्माण में वास्तव में घटिया सामग्री का उपयोग किया जा रहा था।

इस पर संज्ञान लेते हुए हाईकोर्ट ने 5 सितंबर 2024 को आदेश दिया कि उक्त सड़क का निर्माण तीन महीने के भीतर उच्च गुणवत्ता वाली सामग्री से किया जाए। हालांकि, सवा साल से अधिक समय बीत जाने के बावजूद न तो सड़क का निर्माण पूरा किया गया और न ही संबंधित विभागों की ओर से उच्च न्यायालय के समक्ष कोई अनुपालन रिपोर्ट दाखिल की गई।

नगर निगम ने पुलिस में की थी शिकायत

रिकॉर्ड के अनुसार, इस सड़क का निर्माण दिल्ली नगर निगम के अधिकार क्षेत्र में किया जाना था, लेकिन इसे दिल्ली सरकार के बाढ़ एवं सिंचाई विभाग ने बनाना शुरू कर दिया। इस संबंध में नगर निगम की ओर से 28 सितंबर 2024 को कोटला मुबारकपुर थाना प्रभारी को बाकायदा शिकायत दी गई थी। शिकायत में कहा गया कि निगम के कनिष्ठ अभियंता ने क्षेत्र का निरीक्षण करने के दौरान पाया कि बापू पार्क इलाके में एक सड़क का निर्माण बाढ़ एवं सिंचाई विभाग द्वारा किया जा रहा है, जबकि इसके लिए नगर निगम से कोई अनापत्ति प्रमाणपत्र (एनओसी) नहीं लिया गया था।

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