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विशेष: नक्सल प्रभावित क्षेत्र का विकास, राज्य के लिए हमेशा से ही एक बड़ी चुनौती रही है। विकास के बावत यह वकतव्य सारगर्भित है कि विकास सुगम मार्ग पर सवार होकर ही गांव तक पहुंचती है। छत्तीसगढ़ के बस्तर अंचल में विध्वंश का तांडव और नरसंहार का भय दिखाकर अब तक विकास की इस धारा को नक्सलवाद के द्वारा पूरी तरह से रोका गया था। सच तो यह है कि नक्सलियों का न तो प्रजातंत्र पर विश्वास है और न ही वे भारत के प्रति वफादार हैं। छत्तीसगढ़ के मुखिया का आत्मबल, दूरंदेशी और निर्णय शक्ति का ही परिणाम है कि अब घोर नक्सल प्रभाावित गांव तक भी सड़क की पहुंच बन पा रही है।
नक्सलवाद के खात्मा का मूल-मंत्र है पीड़ित विकास
छत्तीसगढ़ में नक्सली, गरीब आदिवासी और वंचितों के हितैषी होने का दावा करते हैं किन्तु वास्तविकता यह है कि उनके कारण ही अब तक शासकीय व्यवस्था तंत्र आदिविसियों और वंचित क्षेत्रों तक विकास का लाभ पहुंचाने में नाकाम होती रही थी। लेकिन नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में विकास की ताज़ी हवा पहुंचाने वाले इस कदम से एक विचार उभर कर सामने आया कि विनाशकारी नक्सलवाद का खात्मा विकास से ही संभव है।
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जन-जन का विकास की मुख्यधारा से जुड़ना आवश्यक
छत्तीसगढ़ की भूपेश सरकार का ये भी मानना है कि केंद्र और राज्य सरकारों को जनजातीय आबादी की पूरी गंभीरता से मदद करने में अपने मौलिक और संवैधानिक कर्तव्य का पालन करना चाहिए। ऐसा करके ही हिंसा में लिप्त लोगों को लोकतंत्र की मुख्य धारा में लाया जा सकता है।
आवागमन सुगम तो जिन्दगी सरल
छत्तीसगढ़ के पश्चिमी इलाके के अंतिम छोर में घने जंगलों और पहाड़ों के बीच बसे क्षेत्र जिनकी पहचान कभी नक्सल प्रभावित इलाके की रही है । लेकिन अब शासकीय प्रयास से कुछ ऐसा होने जा रहा है कि अब उन स्थानों की चर्चा वहा के हो रहे विकास के आधार पर की जावेगी। नक्सलवाद प्रभावित सुदूर वनांचल तक एक सड़क का आ जाना अपने साथ सौ-सौ नेमतें लेकर आ रहा है। स्वास्थ्य, समुद्धि, सौभाग्य, सुविधा लेकर आने वाली सड़क देकर भूपेश सरकार ने इन पिछड़े क्षेत्रों का भाग्य ही चमका दिया है। नई सड़कों का त्वरित असर लोगों को मिलने वाले स्वास्थ्य सेवाओं पर व्यापक रूप से पड़ना शुरू भी हो गया है।
अब इन गांवों में मुख्यमंत्री हाट.बाजार क्लीनिक योजना के तहत मेडिकल वैन साप्ताहिक हाट.बाजार में खड़ी होती है, ग्रामीण यहां बाजार करने आते हैं और वैन खड़ी देख वहीं अपना चेक अप कराते हैं । राज्य सरकार की जनहितकारी योजनाओं को भी गांव तक पहुंचने के लिए सड़ही ही पहली जरूरत हुआ करती है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की पहल पर शुरू की गयी. मुख्यमंत्री हाट बाजार क्लीनिक योजना की लोकप्रियता का आलम ये है कि साप्ताहिक बाजार में वैन के पास चेकअप कराने के लिये हमेशा भीड़ बनी रहती है । इस स्वास्थय केंद्र में प्रतिदिन औसतन सौ से अधिक मरीज आ ही जाते हैं और अब तक करीब 63 लाख से अधिक ग्रामीण इस योजना का लाभ उठा चुके हैं।
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गुज़रा चार वर्ष रहा समूचे छत्तीसगढ़ और बस्तर क्षेत्र के लिए रहा परिवर्तनकारी
एक समय था जब बस्तर के ग्रामीण नक्सलियों के भय से लोग भयभीत होते थे । लेकिन पिछले चार साल में इस इलाके की तस्वीर बदल गयी है, मध्य प्रदेश से अलग होकर छत्तीसगढ़ राज्य गठन को 22 साल पूरे भी हो चुके हैं इन 22 सालों में छत्तीसगढ़ के आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र बस्तर का बहुत कुछ बदला मगर इन दिनों नक्सल क्षेत्रों में सड़क निर्माण कर जो बदलाव लाया जा रहा है वह काबिल-ए-तारीफ़ है। पिछले 4 दशकों से बस्तर के लोग नक्सलवाद का दंश झेल रहे हैंए नक्सलवाद की वजह से संभाग के ऐसे कई सुदूर अंचल थे जहां तक सरकार की विकास योजनाएॅ नहीं पहुॅच पाती थी।
सड़क निर्माण ने दिखाया चमत्कार
सड़क निर्माण के बाद बस्तर के बहुत से ऐसे क्षेत्र सामने आए हैं. जहां अब पिछले सालों की तुलना में काफी हद तक नक्सलवाद बैकफुट पर आया है और इसके चलते सड़कें, बिजली, पानी और मूलभूत सुविधाएं ग्रामीणों तक पहुंची है. दहशत की वजह से नक्सलियों का साथ देने वाले ग्रामीणों ने भी एक स्वर में नक्सलवाद का विरोध कर अपने गांव तक विकास पहुंचाने में प्रशासन की भरपूर मदद कर पाने की स्थिति में हैं।
विकास से अछूते बस्तर के गांव को नव जीवन मिल रहा है। नक्सल क्षेत्रों में सड़क निर्माण के प्रयास में अब तक न जाने कितने जवानों ने अपना बलिदान दिया है मगर भूपेश सरकार की आत्मशक्ति से बन रहे इन सड़कों के बनने के बाद आने वाले समय में ही बस्तर की तस्वीर काफी कुछ बदल चुकी होगी। बस्तर के नक्सल प्राभावित सुदूर ग्रामीण वनांचल तक एक के बाद एक 50 से अधिक सड़कें बनाई गईं. इन सड़कों के माध्यम से गांव.गांव तक विकास पहुंचाया जा रहा है. ग्रामीणों को अब गांव.गांव में बेहतर शिक्षा मिलने के साथ मूलभूत सुविधाएं और मुफ्त राशन का भी लाभ मिल रहा है।
मर्दापाल से बयानार भाटपाल की सड़कें बन रही वरदान
कई ऐसे गांव हैं जहां नई सड़कों का सहारा लेकर बिजली विभाग आसानी से इन गांवों तक रोशनी पहुंचा रहा है। छत्तीसगढ़ का बस्तर संभाग आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र है और यहां के ग्रामीणों की आय का जरिया जंगलों से मिलने वाली वनोपज हैण् छत्तीसगढ़ गठन के बाद बीते 22 सालों में पहली बार विकास पुरवाई ऐसे झूम के बह रही है।
छत्तीसगढ़ के कोण्डागांव ब्लॉक के अंतर्गत धुर नक्सली प्रभावित रहे मर्दापाल से बयानार.भाटपाल में जहां कभी नक्सलियों की दहशत रहती थी, ऊंची पहाड़ियों और सघन वनाच्छादित इस क्षेत्र के कई गांव जो साल के 6-6 महिने पहुंच से दूर रहा करते थे नतीजा ये हुआ कि यह क्षेत्र विकास की मुख्य धारा से हमेशा से ही अछूता रहा। यहां के ग्रामीण मूलभूत सुविधाओं जैसे स्वास्थ्य, शिक्षा, पेय जल, बिजली के लिए सदा से ही तरसा करते थे। एक सड़क के ना होने से ना ही उन्हें समय पर एम्बुलेंस और चिकित्सा सुविधा मिल पाती थी, ना मुसिबत में पुलिस की मदद।
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सड़क निर्माण के साथ ही इसी साल पुलिस प्रशासन के अथक प्रयास से 500 से ज्यादा बंद स्कूलों को दोबारा शुरू किया गया है। नक्सल प्रभावित ग्रामीण क्षेत्रों में 200 से अधिक नई सड़कों पर पुल का निर्माण किया गया है और 150 से अधिक गांव तक मोबाइल नेटवर्क पहुंचाया गया हैए ऐसे में कहा जा सकता है कि बस्तर संभाग में विकास की आंधी अब उठ कर छा जाने वाली है।
भूपेश सरकार ने नामुमकिन को बनाया मुमकिन
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के निर्देश पर मर्दापाल से बयानार भाटपाल जैसे क्षेत्रों के विकास के लिए सड़क निर्माण की पहल की गयी। नक्सली आतंक, पहाड़ी रास्तों और नदी-नालों के कारण की वजह से यहॉ सड़क का बनाया जाना लगभग असंभव सा महसूस हो रहा था। लेकिन वहां प्रशासन ने दृढ़ निश्चय के साथ सर्वे करा कर सड़क निर्माण प्रारंभ किया। मर्दापाल से भाटपाल एवं भाटपाल से खाल्हेमुरवेंड मार्ग का निर्माण प्राचीन आदिम देव लिंगो देव के नाम पर लिंगों देव पथ रखा गया।
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मर्दापाल से बयानार होकर नारायणपुर जिले के भाटपाल तक पहुंचने वाली 40 किलोमीटर लम्बी डामरीकृत सड़क उस क्षेत्रों में खोए हुए शांति और अमन चैन को वापस लाने का काम कर रही है। इस सड़क के बन जाने से 08 बड़े ग्रामों के करीब 4 हजार आबादी और इससे जुड़े 20 से अधिक गांव के ग्रामीणों को अब पूरे-पूरे साल आने जाने की न सिफ्र सुगम सुविधा मिल गई है बल्कि इस बारहमासी सड़कों के बन जाने से स्वास्थ्य.शिक्षा जैसी आधारभूत सुविधाएं भी आसनी मिल पा रही है। किसानों और ग्रामीणों को अब अपनी कृषि उत्पाद और वनोपज को धान खरीदी केन्द्र एवं हाट.बाजार तक लाकर विक्रय करने में सहूलियत हो रही है।
छत्तीसगढ़ ग्रामीण सड़क विकास अभिकरण कोण्डागांव राष्ट्रीय राजमार्ग 30 में स्थित खालेमुरवेण्ड तक सीधे जुड़ने वाली इस सड़क का निर्माण छत्तीसगढ़ ग्रामीण सड़क विकास अभिकरण कोंण्डागांव के द्वारा मर्दापाल से भाटपाल तक के लिए बनने वाली वर्तमान में कोण्डागांव जिले के चिंगनार, कोनगुड़, धनोरा, होनहेड़ गांव में समृद्धि का संदेश लेकर गुज़र रही है । यही सड़क भविष्य में राष्ट्रीय राजमार्ग 30 के वैकल्पिक बॉयपास मार्ग के रूप में आवागमन के लिए सुविधाजनक होगी। भविष्य में तो ऐसी भी योजना है कि इस मार्ग को बारसुर.कुधुर के रास्ते से मर्दापाल से जोड़ दिया जाए ऐसा करके दंतेवाड़ा से केशकाल की दूरी को कम किया जा सकेगा और ग्रामीणों को व्यापार व्यवसाय और विकास के नवीन अवसर प्राप्त हो सकेगा।
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सड़कें बन रही हैं रोजगार का सुअवसर
बनने वाली इस नई सड़क का निर्माण इस तरह से किया जा रहा है कि वह बस्तर के अंदरूनी ईलाके को प्राकृतिक सौंदर्य से ओत-प्रोत उन स्थलों को जोड़ा जा सके जो आवागमन की सुविधा पाते ही बड़े पयर्टन स्थलों में तब्दिल हो सके। किसी भी पर्यटन स्थल से जुड़ा हुआ कोई गांव कितना कामयाब और समृद्ध बन जाता है समझने जैसी बात है। इस सड़क निर्माण से रोजगार के अवसर का निर्माण भी स्वमेव ही हो जावेगा। इसी सड़क के दूसरे सिरे पर भाटपाल से खालेमुरवेंड मार्ग पर सड़क निर्माण के बाद 20 से अधिक जलप्रपातों की खोज की गयी है। जिससे क्षेत्र को नई पहचान मिल रही है।
जीवन रेखा बनी नई सड़क बदल रहीं है जीवन की रेखाएं
जिले के एक बहुत बड़े भू-भाग को अपने दायरे में समेट लेने वाली इस नई सड़क ने गांव के गांव को विकास की मुख्य धारा से जोड़ दिया है। छत्तीसगढ़ ग्रामीण सड़क विकास अभिकरण द्वारा इस राह पर तैयार 76.30 किलोमीटर लम्बी सड़क में मर्दापाल से बयानार.भाटपाल तक की 40 किलामीटर लम्बी सड़क भी शामिल है। यह वो सड़क है जो मर्दापाल क्षेत्र के बयानार, नवागांव, चेरंग, बड़को, आमगांव, आदनार जैसे गांवों के लोगों को अब मुख्यालय आने.जाने में सुविधा हो रही हैं। यही ग्रामीण मर्दापाल से इसी राह पर चल कर समय और दूरी बचा कर नारायणपुर तक पहुॅच रहे हैं। नक्सल प्रभावित जीवन को हर दूर से संवारने वाली बस्तर की नई सड़कें प्रभावित ग्रामीणों को सब दे रही है स्वास्थ्य केन्द्र से सेहत, स्कूल से शिक्षा, मोबाईल टावर से संचार, आवागमन की सुविधा से सुगमता। विकास की यात्रा के लिए इतनी चीजों का होना ज़रूरी भी है।
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