रायपुर. ‘न इस साल न आइंदा राज्य सरकार न तो धान पर बोनस दे, न ही ही घोषणा करे’. कड़ी चेतावनी भरे इन अल्फाज़ों के साथ केंद्र की नरेंद्र मोदी की सरकार राज्य की भूपेश बघेल की सरकार से 24 लाख मीट्रिक टन केंद्रीय पूल में लेने को राज़ी हो गई है.

ये चावल हाफ बायल यानि उसना किस्म का होगा. केंद्र सरकार ने राज्य को लिखे खत में इस साल 24 लाख मीट्रिक टन चावल लेने को तैयार हो गई है. इसी के साथ राज्य सरकार को बड़ी राहत मिली है. धान से मिलिंग की हुई चावल को केंद्रीय पूल में जमा कराने को लेकर केंद्र और राज्य में लंबे समय से खींचतान चल रही थी.

हालांकि राज्य सरकार ने 24 की जगह इस साल 32 लाख मीट्रिक टन चावल खऱीदने की अपील की थी. जिसे  केंद्र ने नहीं माना. केंद्र ने पिछले साल भी राज्य से 24 लाख मीट्रिक टन चावल खरीदा था.

गौरतलब है कि राज्य सरकार हर साल एमएसपी पर किसानों से धान खरीदती है. जिसका एक बड़ा हिस्सा केंद्र सरकार मिलिंग कराकर चावल केंद्रीय पूल में लेती है. लेकिन इस साल केंद्र की मोदी सरकार ने छत्तीसगढ़ से धान खरीदने से मना कर दिया था. केंद्र सरकार को इस बात पर आपत्ति थी कि राज्य सरकार किसानों को एमएसपी से करीब 700 रुपये ज़्यादा देकर धान खरीद रही है.

बाज़ार का हवाला देकर केंद्र ने धान खऱीदने से मना कर दिया. जिसके बाद केंद्र और राज्य सरकार के बीच लंबी खींचतान चली. राज्य की सत्तारुढ़ कांग्रेस ने केंद्र के फैसले के खिलाफ हर जिले में आंदोलन किया. इसके बाद किसानों के साथ दिल्ली कूच का कार्यक्रम मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बनाया. लेकिन इस बीच केंद्रीय मंत्रियों के आश्वासन के बाद राज्य सरकार ने दिल्ली जाने का फैसला टाल दिया.

राज्य सरकार ने खींचतान को लंबा खींचता देख ऐलान किया कि राज्य सरकार इस साल 1815 समर्थन मूल्य पर धान लेगी लेकिन किसानों की जेब में किसी अन्य स्कीम के नाम पर शेष राशि भेजी जाएगी.