शब्बीर अहमद, भोपाल। गुजरात में अभी विधानसभा चुनाव हो रहे हैं, लेकिन उसका प्रभाव मध्यप्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में पड़ेगा। गुजरात चुनाव के परिणाम तय करेंगे कि एमपी के आदिवासी वोटर किस पार्टी के पक्ष में है। गुजरात चुनाव का फैसला मध्य प्रदेश का सियासी समीकरण तय करेगा।
दरअसल, मध्यप्रदेश के कई आदिवासी इलाके गुजरात के आदिवासी इलाकों से जुड़े हुए हैं। गुजरात के दाहोद, छोटा उदयपुर, गोधरा जैसे आदिवासी जिले एमपी से जुड़े हुए हैं। दोनों तरफ आदिवासी जातीय भील-भीलाला बड़ी संख्या में रहते हैं। गुजरात चुनाव के रिजल्ट एमपी के आदिवासियों का रुख बताएंगे। गुजरात चुनाव के परिणाम तय करेंगे कि एमपी के आदिवासी वोटर किस पार्टी के पक्ष में है। बता दें कि मध्यप्रदेश में आदिवासी वोटर निर्णायक भूमिका में रहते हैं।
बीजेपी दावा- आदिवासी वर्ग सरकार से खुश
मध्यप्रदेश के चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग का कहना है कि गुजरात में डबल इंजन की सरकार है। गुजरात में बीजेपी के साथ हर वर्ग है। गुजरात में नरेंद्र मोदी का जलवा हर वर्ग में है। मध्य प्रदेश का आदिवासी वर्ग भी बीजेपी के साथ है।
बीजेपी से नाखुश आदिवासी समाज
जबकि कांग्रेस का कहना है कि बीजेपी ने आदिवासियों के साथ हमेशा धोखा किया। मध्यप्रदेश और गुजरात दोनों राज्य में आदिवासियों के साथ अन्याय हुआ है। पहले भी आदिवासी गुजरात में कांग्रेस के साथ थे और आज भी रहेंगे। 2023 में मध्य प्रदेश में भी आदिवासी वोटर कांग्रेस का साथ देंगे। पेसा एक्ट में भी आदिवासियों का भला नहीं हुआ। आदिवासी इलाकों में बेरोजगारी बढ़ती जा रही है। आज आदिवासी वर्ग सरकार से नाराज है।
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