रायपुर। छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में हुई गायों की मौत का मामला थमने का नाम नहीं ले रहा है. हांलाकि मुख्यमंत्री डॉ रामन सिंह के निर्देश के बाद त्वरित कार्रवाई करते हुए भाजपा नेता हरीश वर्मा को दुर्ग पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है. पहली बार ऐसा हुआ है कि सरकार की 3 संस्थाएं 50 से ज़्यादा अधिकारियों की टीम के साथ गायों के मौत के मामले की जाँच कर रही है. दरअसल इस मामले ने छत्तीसगढ़ सरकार को हिला कर रख दिया है.
2 दिनों में एक के बाद एक कई खुलासे इस मामले को लेकर हुए हैं. प्रदेशभर में 115 पंजीकृत गौशालाएं हैं. जिन्हें हर साल सरकार की ओर से करोड़ों रुपयों का अनुदान दिया जाता है. जबकि कुछ गौशालाएं ऐसी भी हैं जो बिना अनुदान राशी के ही गायों की सेवा के साथ साथ चोटिल गायों की सुरक्षा काम भी ज़िम्मेदारी से कर रही है.
इस मामले की तह तक जाने के बाद टीम को कुछ महत्वपूर्ण दस्तावेज़ हाथ लगे हैं जिसमें दुर्ग की शगुन गौशाला का भी नाम शामिल है. जिसमें से एक और बड़े फर्जीवाड़े का खुलासा हुवा है.
दस्तावेज़ में इस संस्था के पंजीयन की तारीख 6-10-2010 दर्ज है. गौरतलब है की 905 पशुओं की संख्या वाले इस गौशाला में सरकार की तरफ से दी जाने वाली अनुदान राशि साल-
- 2014-15 में 20 लाख
- 2015-16 में 19.62 लाख
- 2016-17 में 10 लाख
यानी तीन साल में इस गौशाला को करीब 50 लाख रुपये अनुदान के रुप में प्राप्त हुआ. देखा जाए तो 2010 के बाद इस संस्था द्वारा नियम अनुरूप हर साल ऑडिट रिपोर्ट विभाग को दिया जाना था. जिसके आधार पर ही उन्हें अनुदान राशि दिया जाना था लेकिन 2010 में रजिस्ट्रेशन के बाद से ही ऑडिट रिपोर्ट नहीं दिया गया था. इसके बावजूद सरकार की तरफ से उन्हें अवैधरूप से अनुदान राशि विगत 3 सालों में 49.62 लाख की राशि दी जा चुकी है.
ऐसे में सवाल यही उठा है की आख़िरकार किस आधार पर अधिकारियों द्वारा बिना ऑडिट के उस गौशाला को पहले तो अनुदान राशि प्रदान की गई?फिर राशि का उपयोग गौशालाओं में किस तरह से किया जा रहा है? इसकी जाँच भी अब तक नही की गई.