ट्रंप प्रशासन द्वारा भारत समेत अन्य देशों में लगाए जा रहे भारी भरकर टैरिफ को लेकर अदालत में सुनवाई चल रही है. मामले को लेकर ट्रंप प्रशासन द्वारा कोर्ट में दायर दस्तावेजों में चेतावनी दी गई है कि भारत सहित कई देशों पर लगाए गए टैरिफ को हटाने से अमेरिका को व्यापारिक प्रतिशोध झेलना पड़ेगा और विदेशों में शांति स्थापित करने के प्रयास कमजोर हो जाएंगे.

सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अपील में अमेरिकी सॉलिसिटर जनरल जॉन सॉयर ने न्यायाधीशों से इन ड्यूटीज को बरकरार रखने की अपील की, जिन्हें निचली अदालत ने अवैध ठहराया था. अपील में कहा गया, ‘इस मामले में दांव पर लगी चीजें बहुत बड़ी हैं.’ दस्तावेज में टैरिफ को ‘यूक्रेन में शांति की कोशिशों का अहम हिस्सा’ और ‘आर्थिक तबाही से बचाने वाली ढाल’ बताया गया.

‘बिना टैरिफ के आर्थिक रूप से तबाह हो जाएगा अमेरिका’

ट्रंप प्रशासन ने कहा, ‘हमने हाल ही में रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर जारी राष्ट्रीय आपातकाल से निपटने के लिए भारत पर टैरिफ लगाए हैं, क्योंकि वह रूसी एनर्जी प्रोडक्ट खरीदता रहा है. इन टैरिफ को हटाना अमेरिका को आर्थिक तबाही के कगार पर धकेल देगा.’

हाल ही में अमेरिका ने भारत पर 25% टैरिफ लगाया, यह कहते हुए कि व्यापार घाटा बढ़ रहा है. साथ ही, रूस से तेल व्यापार खत्म करने के दबाव को न मानने पर 25% अतिरिक्त शुल्क भी जोड़ा गया. यानी कुल मिलाकर भारत पर अब 50% आयात शुल्क लागू है.

क्या था निचली अदालत का फैसला?

बता दें कि, ट्रंप प्रशासन की यह अपील उस फैसले के खिलाफ है, जिसमें अमेरिकी फेडरल सर्किट कोर्ट ऑफ अपील्स ने 7-4 से यह कहा था कि ट्रंप इमरजेंसी आर्थिक शक्तियों का इस्तेमाल करके व्यापक टैरिफ लगाकर अपनी अधिकार-सीमा से आगे बढ़ गए. प्रशासन ने इसके उलट तर्क दिया कि ये कदम ‘शांति और अभूतपूर्व आर्थिक समृद्धि’ ला रहे हैं और देशों को वॉशिंगटन के साथ नए व्यापार ढांचे में ला रहे हैं.

ट्रंप प्रशासन के तर्क

सरकार ने अपने दस्तावेज में कहा, ‘टैरिफ के साथ अमेरिका एक अमीर देश है; बिना टैरिफ अमेरिका गरीब देश है.’ इसमें कहा गया कि अगर ये शुल्क हटा दिए गए तो अमेरिका का रक्षा-औद्योगिक ढांचा कमजोर होगा, सालाना 1.2 ट्रिलियन डॉलर के व्यापार घाटे पर असर पड़ेगा और चल रही विदेशी वार्ताओं पर अनिश्चितता का साया छा जाएगा.

दस्तावेज के मुताबिक, इन ड्यूटीज की वजह से ‘छह बड़े व्यापारिक साझेदार और 27 देशों वाला यूरोपीय संघ पहले ही फ्रेमवर्क समझौतों में शामिल हो चुके हैं’, जिससे अमेरिका की वैश्विक स्थिति और मजबूत हुई है.

सुप्रीम कोर्ट से जल्द फैसला लेने की अपील

फाइलिंग में कहा गया, ‘एक साल पहले अमेरिका एक ‘मरा हुआ देश’ था, और अब, उन ट्रिलियन डॉलर की वजह से जो देश हमें बुरी तरह लूटते रहे थे और अब हमें दे रहे हैं, अमेरिका फिर से एक मजबूत, आर्थिक रूप से सक्षम और सम्मानित देश बन गया है.’

ट्रंप प्रशासन ने सुप्रीम कोर्ट से जल्दी फैसला देने की अपील की, ताकि यह साफ हो सके कि राष्ट्रपति के पास संघीय कानून के तहत व्यापक आयात कर लगाने का अधिकार है. यह अपील उस निचली अदालत के फैसले को चुनौती देती है, जिसमें ट्रंप के अधिकांश टैरिफ को आपातकालीन शक्तियों का अवैध इस्तेमाल बताया गया था.

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