दिल्ली की कड़कड़डूमा अदालत ने हाल ही में घरेलू हिंसा अधिनियम (DV Act) के तहत दायर एक महिला की अंतरिम भरण-पोषण की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया है। अदालत ने कहा कि वैवाहिक विवादों में अक्सर देखा जाता है कि पत्नी अपने खर्चों और जरूरतों को बढ़ा-चढ़ाकर पेश करती है, जबकि पति अपनी आय को कम करके दिखाने की कोशिश करता है। इसलिए केवल पक्षों के मौखिक दावों के आधार पर अंतरिम भरण-पोषण नहीं दिया जा सकता।

यह आदेश न्यायिक मजिस्ट्रेट पूजा यादव की अदालत ने पारिवारिक विवाद के एक मामले में दिया। याचिकाकर्ता पत्नी ने दावा किया था कि उसका कोई स्वतंत्र आय स्रोत नहीं है और पति उसे आर्थिक सहायता दे। जबकि पति ने यह तर्क दिया कि पत्नी स्वयं आर्थिक रूप से सक्षम है और उसके पास अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त आय है।

अदालत ने कहा कि विवाह संबंधी विवादों में अक्सर यह देखा जाता है कि पत्नी अपने खर्चों को बढ़ा-चढ़ाकर प्रस्तुत करती है, जबकि पति अपनी आय को कम बताने की कोशिश करता है। ऐसे में केवल मौखिक दावों के आधार पर अंतरिम भरण-पोषण देना उचित नहीं होगा। यह आदेश न्यायिक मजिस्ट्रेट पूजा यादव की अदालत ने सुनाया।

अदालत ने अपने आदेश में कहा कि याचिकाकर्ता महिला कानून स्नातक है और अक्टूबर 2024 तक दिल्ली महिला आयोग में कार्यरत रही है। इसके बावजूद उसने ऐसा कोई प्रमाण अदालत में प्रस्तुत नहीं किया, जिससे यह साबित हो कि वह अब काम करने में असमर्थ है या उसे रोजगार प्राप्त करने में कोई व्यावहारिक कठिनाई है। अदालत ने यह भी दर्ज किया कि महिला की कोई संतान नहीं है और उस पर कोई अतिरिक्त घरेलू जिम्मेदारी भी नहीं है, जिससे उसकी आजीविका प्रभावित होती हो।

अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता महिला कानून स्नातक है और अक्टूबर 2024 तक दिल्ली महिला आयोग में कार्यरत रही हैं। उन्होंने ऐसा कोई प्रमाण प्रस्तुत नहीं किया जिससे यह साबित हो कि वह अब रोजगार पाने में असमर्थ है, या उसे नौकरी करने में कोई बाधा है।  साथ ही, महिला की कोई संतान नहीं है और उस पर कोई ऐसी घरेलू या पारिवारिक जिम्मेदारी भी नहीं है, जो उसे काम करने से रोकती हो।

अदालत ने टिप्पणी की “उसकी शैक्षणिक योग्यता, कार्य अनुभव और बेरोजगारी के लिए कोई ठोस कारण न होने की स्थिति में यह कहना कि वह काम नहीं कर रही है, विश्वसनीय नहीं है।” साथ ही अदालत ने यह भी नोट किया कि महिला की कोई संतान नहीं है, और ऐसी कोई अतिरिक्त घरेलू जिम्मेदारी भी नहीं है जो उसे नौकरी करने से रोके।

अदालत ने निष्कर्ष में कहा “मामले पर विचार करने के बाद फिलहाल यह स्पष्ट है कि याचिकाकर्ता स्वयं अपना भरण-पोषण करने में सक्षम है, इसलिए अंतरिम राहत देने का कोई आधार नहीं बनता।” इस प्रकार अदालत ने अंतरिम भरण-पोषण की याचिका खारिज कर दी। हालांकि, अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि राहत या भरण-पोषण पर अंतिम फैसला मुकदमे के अंत में, गुण-दोष के आधार पर किया जाएगा।

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