पवन दुर्गम, बीजापुर. जिले के भैरमगढ़ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में जापानी बुखार से एक ही परिवार के दो मासूमों की मौत हो गई. इसके अलावा परिवार के तीसरे बच्चे में भी जापानी बुखार के लक्षण मिले हैं. लेकिन उनकी हालात सामान्य बताए जा रही है. दरअसल, तीन साल की मासूम चांदनी चौहान को माता-पिता ने बुखार के ईलाज के लिए भैरमगढ़ स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया था. डॉक्टर ने चांदनी को मेडिकल कालेज जगदलपुर भेज दिया, जहां चांदनी ने 3 दिसंबर को दम तोड़ दिया. चांदनी के ब्लड सैम्पल में जापानी इन्सेफेलाइटिस के लक्षण थे. जिसके बाद स्वास्थ्य महकमा मृतक चांदनी चौहान के गांव पिनकोंडा पहुंचा, जहां चांदनी के भाई राहुल (5) बहन प्रिया चौहान (5) के ब्लड सैम्पल्स लेकर मेडिकल कालेज भेजा गया जिसमें दोनों बच्चों में भी जापानी इन्सेफेलाइटिस पॉजिटिव पाया गया.
ब्लड रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद 4 दिसंबर को प्रिया चौहान को भी मेडिकल कालेज में भर्ती किया गया था, जहां प्रिया ने भी ईलाज के दौरान दम तोड़ दिया. जबकि राहुल चौहान अभी सुरक्षित है.
मृतक प्रिया और जापानी बुखार से पीड़ित राहुल चौहान नेलसनार और मिरतुर में पढ़ाई कर रहे थे. दो बच्चों की मौत के बाद परिजनों में काफी आक्रोश है. बता दें कि जिले में 32 पोटाकेबिन संचालित हैं, जिसमें औसतन 16 वर्ष से कम उम्र के 11 हजार से ज्यादा आदिवासी बच्चे पढ़ाई करते हैं. औसतन 300 से ज्यादा तादात वाले इन पोटाकेबिनों में छात्रों की उम्र जापानी बुखार से ग्रसित होने के अनुकूल है.
जापानी इन्सेफेलाइटिस के दो और प्रकरण हालिया दिनों में मिले हैं, जिसमें इंद्रावती नदी पार बांगोली में एक प्रकरण मिला था, जबकि गंगालूर क्षेत्र के गुंडापुर में एक प्रकरण जापानी बुखार का मिला था.
टेमोप्लाज दवाई का छिड़काव किया
चिंदभाटा पारा पिनकोंडा निवासी सालेम चौहान मृतक चांदनी और प्रिया चौहान के पिता हैं. घर के आसपास सुअरों का बसेरा है. सुअर जापानी इन्सेपलायटिस का वाहक होता है. विभाग की तरफ से मच्छरदानी और जापानी इन्सेफेलाइटिस में कारगर टेमोप्लाज दवाई का छिड़काव किया जा रहा है.
कैंप लगाकर जांच की गई
इस मामले में सीएमएचओ बीआर पुजारी ने बताया कि प्रिया चौहान की मौत के बाद परिवार में बच्चों का परीक्षण कराया गया था, जिसमें 2 और बच्चों को जापानी बुखार पॉजिटिव पाया गया था. अभी जिले में जापानी इन्सेप्लिटिस का कोई टीका हमारे पास नहीं है. हमने केंद्र सरकार को टीके की दवाई के लिए प्रपोजल भेजा है. प्रपोजल मंजूर हुआ है. कुछ ही महीनों में जापानी बुखार का टीका उपलब्ध हो जाएगा. इस प्रकरण के बाद मिरतुर पोटाकेबिन छात्रावास में मेडिकल कैंप लगाकर जांच की गई है.