सुदीप उपाध्याय, वाड्रफनगर। कोरोना संक्रमण के दौरान जिन पुलिस कर्मियों को योद्धा बताते हुए तारीफ में कसीदे गढ़ रहे हैं, वहीं उनका अमानवीय चेहरा भी देखने को मिल रहा है. ऐसा ही एक वाकया सूरजपुर में देखने को मिला, जहां पुलिस ने इलाज की पर्ची होने के बाद भी चेक पोस्ट क्रास करने नहीं दिया. मजबूरी में वापस घर लौटते समय मरीज ने रास्ते में ही दम तोड़ दिया. यही नहीं मरीज की मौत के बाद जिस गाड़ी से वे लौट रहे थे, उसका वाहन चालक उन्हें बीच रास्ते में उतारकर भाग निकला.

बलरामपुर जिले के वाड्रफनगर विकास खंड के ग्राम पंचायत गैना निवासी 45 वर्षीय बिहानी देवी पति रामाधार को तबीयत खराब होने के कारण परिजन इलाज के लिए निजी वाहन से अंबिकापुर ले जा रहे थे.रेवती चेक पोस्ट पर पुलिस ने उन्हें रोक लिया और पर्ची दिखाने को कहा. अस्पताल की पर्ची दिखाए जाने पर पुलिस ने आने-जाने वाले पास की मांग करने लगे. गरीब परिजन समझाने का प्रयास किए कि उन्होंने पास नहीं बनाया है, केवल अस्पताल की पर्ची है. लेकिन पुलिस वाले अस्पताल की पर्ची पर आगे जाने देने से इंकार कर दिया. घंटों बाद भी पुलिस के नहीं मानने पर मरीज को लेकर परिजन वापस घर लौटने लगे, तब तक मरीज की मौत हो चुकी थी. यही नहीं मरीज की मौत के बाद निजी वाहन के चालक ने उन्हें बीच रास्ते में उतारकर भाग निकला.

सूरजपुर पुलिस की ढेरों शिकायत

इस तरह चेकपोस्ट पर मजबूूर लोगों को रोकने का यह पहला मामला नहीं है. इसके पहले भी इस तरह के वाकये हुए हैं, जिसकी शिकायत किए जाने के बाद भी पुलिस के व्यवहार में सुधार नहीं हुआ है. इस संबंध में बलरामपुर पुलिस अधीक्षक रामकृष्ण साहू से चर्चा में बताया कि इसकी शिकायत उन्हें भी मिली है. अगर पीड़िता की स्थिति नाजुक थी तो उसे सूरजपुर पुलिस द्वारा नहीं रोका जाना चाहिए था. वहीं जिस निजी वाहन चालक ने मरीज के परिजनों को रास्ते में उतार दिया गया था, उसके खिलाफ संबंधित थानेदार को कार्रवाई के लिए कहा गया है. तत्काल पीड़ित परिवार के पास हमने शासकीय वाहन भेज कर लाश को घर तक पहुंचाने की भी व्यवस्था करवा दिए हैं.