रायपुर। बिहार के नवादा में डायन के सन्देह में एक ग्रामीण महिला की नृशंस हत्या की अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के अध्यक्ष डॉ दिनेश मिश्र ने कड़ी निंदा की है. इसके साथ बिहार सरकार से दोषियों पर कड़ी कार्रवाई करने की मांग की है.

डॉ दिनेश मिश्र ने बताया कि बिहार के नवादा में करीब पचास लोगों ने मिलकर एक महिला को डायन के सन्देह में पेट्रोल छिड़ककर जिंदा जला दिया गया. यह घटना रजौली थाना क्षेत्र के सुदूरवर्ती जंगली क्षेत्र के सवैयाटांड़ पंचायत की चटकरी-गोरियाडीह गांव की है. इसके पहले भी गांव में किसी के भी बीमार पड़ने पर जादू टोने के सन्देह महिला को प्रताड़ित किया जाता था. जब भी किसी की तबीयत खराब होती थी, तो लोग मृतक महिला को तंग करते थे. इस बार एक व्यक्ति की मृत्यु होने पर उक्त महिला पर डायन होने का आरोप लगा सजा देने को लेकर गांव में बैठक हुई थी. बताया जा रहा है कि पंचायत ने ही महिला की गैर मौजूदगी मेंउसे दोषी मान कर उसे मौत का फरमान सुना दिया था.

डायन के सन्देह में मारी गई महिला सरिता के दो पुत्र व एक पुत्री है. तीन दिन पहले पास के गोरियाडीह टोले के सोहर सिंह के पुत्र बबलू सिंह की मौत घर में सोते-सोते ही हो गई थी. उनकी पत्नी भी अस्वस्थ चल रही थीं. उसके कुछ रिश्तेदार बबलू सिंह की मृत्यु के लिए इसी महिला के जादू-टोना मान रहे थे. इस मुद्दे पर गुरुवार को गांव में बकायदा पंचायत बैठी. पंचायत ने उक्त महिला की अनुपस्थिति में ही उसे दोषी मान कर उसे मौत का फरमान सुना दिया, जिसके बाद लगभग तीन बजे मृतक बबलू सिंह के भाई विजय सिंह एवं उसके साथ रहे अन्य लोगों ने महिला को उसके घर में ढूंढा, वह नहीं मिली.

कुछ देर बाद इन लोगों को महिला अपने बीमार बच्चे का इलाज करा लौटती दिखाई दी. इस पर ग्रामीणों ने उसे घेर लिया और पेट्रोल एवं केरोसिन छिड़क आग लगा दी. आग लगने पर महिला भागती हुई नजदीक के तालाब में जाकर कूद गई. तब दो लोग तालाब में कूदे और उसकी गर्दन काट दी, फिर पत्थर से उसका सिर कुचल डाला. सरिता के परिजनों ने उसे बचाने की कोशिश की, तो उनकी भी पिटाई कर दी. सरिता की बहन शरीफा देवी व बहनोई गौतम सिंह ने रजौली थाना पहुंचकर पुलिस को घटना की सूचना दी. बाद में पुलिस ने शव जब्त कर लिया.

डॉ दिनेश मिश्र ने कहा डायन के सन्देह में हुई यह घटना अत्यंत निर्मम और शर्मनाक है. दोषी व्यक्तियो की जाँच कर उन पर कड़ी कार्यवाही होना चाहिए. गाँव में होने वाली ऐसी बैठकों की भूमिका की भी जांच होना चाहिए. डॉ. मिश्र ने कहा कि जादू-टोने का कोई अस्तित्व नहीं है, इसलिए जादू-टोने से किसी भी व्यक्ति को बीमार करने, नुकसान पहुंचाने की धारणा मिथ्या है. इस अंधविश्वास के कारण किसी भी महिला को प्रताड़ित करना अनुचित, गैरकानूनी है.

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उन्होंने कहा कि कोई महिला टोनही नहीं होती. डायन/टोनही के सन्देह में हुई प्रताड़ना के लिए दोषी व्यक्तियों पर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए. ग्रामीणों से अपील है कि वे अंधविश्वास में पड़कर कानून अपने हाथों में न लें. समिति जागरूकता अभियान के साथ इस मामले की शिकायत राष्ट्रीय महिला आयोग,तथा राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग से भी कर रही है, तथा प्रताड़ित परिवार को न्याय दिलाने के लिए कार्य करेगी.

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